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Amet: 24.01.2012 Unity of Sangh Very Important: Acharya Mahashraman
Acharya Mahashraman delivered special lecture on Darshanachar. He told never criticize Guru and Sangh and stay away from those persons who indulge in such activities.
News in Hindi
गुरु की निंदा करने वाले से रखें दूरी: आचार्य मह
आमेट २४ जनवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जो व्यक्ति अपने गुरु की निंदा करता है उससे हमेशा दूरी बनाए रखनी चाहिए। धर्म प्रचारक बनकर साधु- साध्वियों के प्रति द्वेष रखने वाले से सदैव दूरी रखने की आवश्यकता है। शासन की निंदा और उसके संदर्भ में अप्रिय बात कहने वाले से दूरी बना लेनी चाहिए। यह शासन की एकता के लिए आवश्यक है। आचार्य ने बात अहिंसा समवसरण में अमृत महोत्सव के अन्तर्गत दर्शनाचार प्रवचन माला के तहत सम्यक्त्व के दूषण विषय पर व्याख्यान देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किसी को सुरक्षित रखने की दृष्टि से उसकी साफ सफाई की तरफ ध्यान दिया जाता है उसी तरह सम्यक्त्व को विषमताओं से परे रखने की आवश्यकता है।
स्याह से बचाता है गुरु
आचार्य ने गुरु नाम का विवेचन करते हुए कहा कि गु का मतलब अंधकार अथवा स्याह होता है और रु का अभिप्राय: निवारित करना है। इसलिए गुरु अपने शिष्य को शिक्षा देकर उसके अंधकार को मिटाने का प्रयास करता है। एक अक्षर का ज्ञान देने वाला भी गुरु है। ज्ञान देने वाला बड़ा महत्वपूर्ण होता है। यह साधना का पथ प्रशस्त करने वाला होता है। हमें भौतिक कामना से परे रहकर आध्यात्म की कामना करनी चाहिए। मन में हिंसा का भाव नहीं आ पाए। इसके लिए सर्वधर्म सम्मेलन करने की दिशा में प्रयास हो। प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल ने कहा कि विद्यालयों में जीवन विज्ञान के क्रम को बालकों के विकास की दृष्टि से प्रारंभ किया गया। दीर्घश्वास, प्रेक्षा और विभिन्न प्रयोगों का क्रम विद्यालयों में चलाना चाहिए। शिक्षक तनावमुक्त होकर अध्यापन कराएं और सहजता व सरलता से विद्यार्थियों में परिवर्तन लाने का प्रयास करें।