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संयम जीवन का सार: साध्वी कुंदनरेखाजी राउरकेला, जून तेरापंथ न्यूज ब्योरो उड़ीसा संवाददाता: ३० जनवरी २०१२
बसंती नगर स्थित तेरापंथ भवन में जैन साध्वी का प्रवास व प्रवचन चल रहा है। जैन साध्वी कुंदनरेखा ने मनुष्य जीवन को दुर्लभ बताते हुए कहा कि इसके सार संयम, तप व साधना हैं। जो जीवन में इन्हें अपना लेते हैं उनका जीवन धन्य हो जाता है।
तेरापंथ सभा, महिला मंडल, युवक परिषद के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में साध्वी कुंदनरेखा ने संयम की व्याख्या करते हुए कहा कि संयम आत्म स्वरूप को पहचान सकती है। चेतना के विकास का यह पथ जगत में न्यारा है। संयम आत्मा के निखार का साधन है। समता और सहिष्णुता का विकास इसी से संभव है। बहन ज्योति ने जीवन में विनय व समर्पण को समाहित करने पर जोर दिया। साध्वी परिमल प्रभा ने कहा कि संयम के राह पर कायर नहीं वीर ही चला करते हैं। साध्वी कल्याण यशा ने संयम पथ को वीरों का महापथ बताया और कहा कि जो अपने इंद्रिय और मन पर अनुशासन करना जान जाता है वे ही संयम के पुष्पों से जीवन को सजाते हैं। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष रुपचंद जैन, महिला मंडल की अध्यक्ष संपत भंसाली, उपाध्यक्ष सरोज गोलछा समेत अन्य कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। मुख्य अतिथि ब्रह्मकुमारी बहन विमला ने बहन ज्योति की मंगलकामना की। तिलक और माल्यार्पण से उनका अभिवादन किया। इस मौके पर विमलाजी को साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया।