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मर्यादाएं तेरापंथ की आत्मा- आचार्य महाश्रमण
आमेट में मर्यादा महोत्सव के मुख्य समारोह में बोले आचार्य महाश्रमण
आमेट ३० जनवरी २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने मर्यादाओं को तेरापंथ धर्म संघ की आत्मा बताया है। तेरापंथ शासन को सिरमौर निरूपित करते हुए उन्होंने कहा कि यह आचार्यों से भी बड़ा शासन है। हमें इसकी सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए।
आचार्य श्री यहां मर्यादा समवशरण में सोमवार को 148वें मर्यादा महोत्सव के मुख्य समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन प्रथम आचार्य भिक्षु ने इसे लिखा था। इसमें एक आचार्य और एक उत्तराधिकारी की आज्ञा में चलने की बात कही गई है। हमारा धर्म संघ 251 साल से इस परंपरा का निर्वाह करता आ रहा है। मर्यादा पत्र में उल्लेखित तेरह मर्यादाओं की जानकारी देते हुए उन्होंने साधु-साध्वियों से आह्वान किया कि वे अन्य पांच मर्यादाओं के प्रति भी हमेशा जागरूकता बनाएं रखें। कषायों का मंदीकरण करते हुए निर्धारित आचार्य अथवा गुरु के प्रति जागरूकता और निष्ठा रखें।
धर्म संघ के इतिहास की रक्षा हो:
साध्वी कनकप्रभा ने कहा कि इतिहास को सुरक्षित रखना दुर्लभतम है। हम धर्म संघ के इतिहास की सुरक्षा के प्रति सावचेत रहें, ऐसे प्रयासों की आवश्यकता है। सत्ताईस वर्ष पहले 1985 में इसी मैदान पर गुरुदेव आचार्य तुलसी के चातुर्मास के दौरान मनाए गए अमृत महोत्सव में उन्होंने गुरुदेव की वर्धापना की थी।