ShortNews in English
Mandi Govindgarh: 25.04.2012
Muni Vinay Kumar told that people should try to speak less. Speech is connected with our health too. To speak more then necessary is not good.
News in Hindi
कम बोलने का अभ्यास करें: मुनि श्री विनय कुमारUpdated on: Sun, 15 Apr 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो संवाददाता,)
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संवाद सूत्र, मंडी गोबिंदगढ़ 15 Apr २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो (जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो संवाददाता,)
गायत्री आश्रम में मुनि श्री विनय कुमार जी आलोक ने कहा कि अधिक बोलने से शारीरिक शक्ति का ही नुकसान नहीं होता, बल्कि शब्दों की ताकत भी क्षय होती है। अधिक बोलने का सीधा असर गले और फेफडे़ पर भी पड़ता है।
यह मामला स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। अधिक बोलने वाले लोग जान ही नहीं पाते कि उनकी भाषा कब बकवास में बदल गई। समाज में आदर भी कम होता है। स्वयं की गंभीरता भी चली जाती है। जैसे कोई भी काम करने के पहले योजना बनाते है वैसे ही बोलने के पहले शब्द योजना तैयार करनी चाहिए, जितना शब्द बचाएंगे, उतना ही मृदुभाषी होने में सुविधा होगी। मुनिश्री ने कहा कि मृदुभाषी का मस्तिष्क भी तेज चलता है। तेज जुबान दिमाग को सीधा कर देती है। और तेज दिमाग वाले जुबान को धीमे चलाते है। इस लिए 24 घटे में थोड़ा मौन साधिए। उन्होंने कहा यदि संत परंपरा (बुद्ध, महावीर, कबीर, तुलसी) पर नजर डाल पाएंगे कि बात सभी वहीं कह रहे है, लेकिन मूल्यों की बात करते समय इनमें से हर एक के शब्द ताजा, अलग और गरिमामय रहे है। ऐसा ही कर सकते है, इसलिए शब्द बचाएं और उन्हीं बचे हुए शब्दों से हर विचार को नए रूप में ताजा बनाएं। किसी पुराने शास्त्र, विचार, सिद्धात पर बात करनी हो, शब्द नए होने चाहिए, एक दम ताजे। भले ही भाव, अर्थ वही हो, जो हजारों साल पहले रहे होंगे। जैसे रुपया, पैसा भी लगातार चलते हुए घिस जाते है, वैसे ही शब्द भी कट पीट जाते है। शब्द का ताजा उच्चारण करने के लिए कम बोलने का प्रयास करें। इस अवसर पर स्वामी विकास चन्द विमल, सुरेन्द्र मित्तल, रमेश मित्तल, राम कुमार जैन, जोगेन्द्र पाल गर्ग, पंकज जैन, राम निवास जैन, अश्वनी मित्तल, नरेश मित्तल, जेपी गोयल, आनंद जैन, लक्ष्मी मित्तल, राम गोपाल जैन, हरिओम जैन के अलावा अन्य उपस्थित थे।