ShortNews in English
Balotara: 26.04.2012
Acharya Mahashraman guided people for Abhinav Samayik. He described Samayik as powerful tool of Sadhana of equanimity.
News in Hindi
समता की साधना सामयिक: आचार्य महाश्रमण
बालोतरा. २६ अप्रैल २०१२. प्रस्तुति - संजय मेहता
आचार्य महाश्रमण अमृत महोत्सव चतुर्थ चरण आयोजन के दूसरे दिन आज अभिनव सामयिक प्रयोग किया गया. इस अवसर पर पूज्य आचार्य महाश्रमण ने अपने प्रवचन में कहा - सामयिक एक अनुष्ठान है, साधना है. समता की साधना है. सामयिक में सावद्य योग का त्याग किया जाता है, सावद्य शब्द 'स' + 'अवद्य' अर्थात सह पाप या पाप सहित. इसलिए विशेष जागरूकता रखनी चाहिए ताकि सामयिक मैं किसी भी प्रकार की सावद्य प्रवृत्ति ना हो.. दीक्षा ग्रहण करते समय साधु पूर्ण जीवन के लिए सावद्य योग का त्याग करते है जबकि श्रावक एक मुहूर्त अर्थात ४८ मिनिट के लिए सावद्य योग का त्याग कर सामयिक करते है. सामयिक ३ प्रकार की होती है - ६ कोटि, ८ कोटि एवं ९ कोटि की सामयिक. जब दो करण(करू नहीं - कराउ नहीं)-दो योग (मन - वचन - काय), से सावद्य प्रवृत्ति का त्याग करते है तो ६ कोटि की सामयिक, अगर इसमें अनुमोदू नहीं वचन से एवं अनुमोदू नहीं मन से जोड़ ले तो ८ कोटि की सामयिक हो जाती है एवं यदि इसमें आगे अनुमोदु नहीं मन से जोड़ ले तो ९ कोटि की सामायिक हो जाती है. साधु-साध्वी के तो ९ कोटि की सामयिक होती है लेकिन श्रावक भी ८ अथवा ९ कोटि की सामायिक का प्रयास रखे.