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Balotara: 03.05.2012
Acharya Mahashraman said that body is not eternal. Material things are also not eternal. Soul is eternal. People should try to do welfare of soul. Religion is way to make good of soul.
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आत्म कल्याण का प्रयास करें: आचार्य
आत्म कल्याण का प्रयास करें: आचार्य
बालोतरा ०२ मई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने जनमानस को धर्म करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि दुनिया में अनित्यता भी विद्यमान है। पदार्थ कहीं नित्य तो कहीं अनित्य होता है। उन्होंने कहा कि शरीर एक पर्याय है। शरीर हमेशा नहीं रहता है, आत्मा एक दिन शरीर को छोड़ देती है। आचार्य ने ये उद्गार बुधवार को नया तेरापंथ भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्य ने कहा कि जिस प्रकार आदमी पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र धारण करता है। वैसे ही आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर को धारण कर लेती है। इसलिए यह शरीर अनित्य है तो जीवन भी अनित्य है। इसलिए व्यक्ति को मूच्र्छा को तोडऩे के लिए अनित्यता का चिंतन करना उपयोगी है। आचार्य ने शरीर को अध्रुव बताते हुए कहा कि व्यक्ति को धर्म का संचय आत्मा के कल्याण के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनित्य साधना द्वारा ऐसी साधना हो कि स्थायी नित्य आत्मा का कल्याण हो जाए। आत्मा की शाश्वत है जो ज्ञान, दर्शन युक्त है। व्यक्ति आत्म कल्याण के लिए प्रयास करें। व्यक्ति का चैत्य पुरुष आत्मा जागृत हो जाए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जिस धर्मसंघ में अपने नेतृत्व के प्रति एकात्मक समर्पण और अद्योभाव है वह धर्मसंघ कभी रुकता नहीं है, निरंतर प्रगति ही करता है। मंत्री मुनि ने कहा कि संघ के सदस्यों को आगे बढ़ाने की भावना रहती है और संघ के सदस्य भी ऐसा कार्य ना करे जिससे संघ व गुरू की तरफ कोई अंगुली निर्देश न कर सके। कार्यक्रम के प्रारंभ में रोहित गोलेच्छा व उपासक श्रेणी में गीतिका के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।