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Pachpadra: 14.06.2012
Acharya Mahashraman said that symptom of Jeeva is consciousness and knowledge.
News in Hindi
जिसमें चेतना और ज्ञान वही जीव: आचार्य
पचपदरा १४ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
महातपस्वी आचार्य महाश्रमण ने ज्ञान को चेतना का एक आयाम बताते हुए पचपदरा में आयोजित धर्मसभा में बुधवार को कहा कि दुनिया में ऐसा कोई भी आदमी नहीं है जिसके किसी भी अंश में ज्ञान नहीं हो। ज्ञान की चेतना हर प्राणी में होती है। चेतना व अचेतन में मुख्य अंतर यही है कि जिसमें चेतना है ज्ञान है व जीव है जिसमें चेतना से शून्य ज्ञान है वह अजीव होता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान अनंत है। हर आदमी को थोड़ा सा या थोड़ा ज्यादा ज्ञान होता है। पर सारा ज्ञान नहीं होता है। केवलज्ञानी को ही अनंत ज्ञान प्राप्त होता है। ऐसी स्थिति में सारभूत बातों को ग्रहण कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञानावरणीय कर्मों में क्षयोपशम से व्यक्ति ज्ञान संपन्न बन सकता है। किसी में सुबुद्धि होना अल्पबुद्धि होना अनावरणीय कर्म का ही कारण है। उन्होंने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति का ज्ञानी की आशातना करने मखौल उड़ाने से ज्ञानावरणीय कर्म के उदय होने पर भी व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। इस संदर्भ में आचार्य ने आचार्य भिक्षु, आचार्य जीतमल व आचार्य महाप्रज्ञ के ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम का उल्लेख कर उनके ज्ञान व गुणोत्कीर्तन किया। मंत्री मुनि सुमेरमल ने स्वयं ने अनुभूति का उद्बोधन देते हुए कहा कि व्यक्ति को स्वयं के द्वारा ही सत्य व गवेषणा व समाधि का अभ्यास करना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में समणी कमल प्रज्ञा ने दो हमें वरदान प्रेरणा के धाम व मुनि विजयकुमार ने रमता रहूं नित आनंद गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में टमकोर से आई समणी द्वारा समणी पुण्यप्रज्ञा व समणी स्वर्णप्रज्ञा ने आचारण पदरी पधारया म्हारा मरूधर में गीत द्वारा अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।