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Balotara: 28.06.2012
Muni Kishanlal is guiding for Jeevan Vigyan to People.
News in Hindi
जीवन विज्ञान के प्रयोग अपनाएं: मुनि
बालोतरा २८ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जीवन में उच्चता प्राप्त करनी है, उन्नत बनना है तो हमें जीवन में नैतिकता और चारित्र की जड़ को मजबूत करना होगा। जीवन के संतुलित एवं सर्वांगीण विकास के लिए हमें जीवन विज्ञान के प्रयोगों को अपनाना होगा। जीवन विज्ञान यानी 'जीवन को स्वस्थ संतुलित और सात्विक तरीके से जीने की कला' हमें अपने समाज और विश्व को सुधारना है तो सर्व प्रथम अपने जीवन को सुधारना होगा,
अपनी कमजोरियों को मिटाना होगा। जीवन में विनम्रता, अनुशासन, सहन-शीलता, सामंजस्य पूर्ण व्यवहार को अपनाना होगा।
ये विचार स्थानीय तेरापंथ भवन में आयोजित त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान जीवन विज्ञान कार्यशाला के समापन पर प्रेक्षा प्राध्यापक शासन मुनि किशनलाल ने शिविरार्थी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनि ने कहा कि थ्योरी को जीवन में अंगीकार करने के लिए निरंतर प्रयोग की जरूरत होती है। प्रेक्षाध्यान जीवन को प्रायोगिक धरातल पर रहना सिखाता है। प्रेक्षाध्यान, अनुप्रेक्षा, ध्वनि, आसन प्राणायाम से जीवन व्यवहार में आमूलचूल परिवर्तन संभव है। अंतस्त्रावी ग्रंथियों के जागरण का महत्वपूर्ण उपाय है। भावों के परिवर्तन का योग भूत साधन है। कार्यशाला में 75 संभागियों ने नियमित भाग लिया। शोभा डागा, सीमा सालेचा, नीलेश सालेचा ने शिविर के अनुभव बताते हुए इसे नियमित चलाने की मांग की।
कार्यशाला का किट तेयुप के नव मनोनीत अध्यक्ष राजेश बाफना ने मुनि को भेंट किया। स्वरूपचंद दांती ने आभार ज्ञापित किया।
बालोतरा. प्रेक्षाध्यान कार्यशाला को संबोधित करते मुनि किशनलाल व (इनसेट में)शिविर में योग करते श्रावक-श्राविकाएं।