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अहिंसा व क्षमा का महानतम पर्व पर्युषणअनपरा (सोनभद्र): उत्तर प्रदेश २३ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
भारतीय संस्कृति में पर्वो का एक विशेष महत्व है साल भर में शताधिक पर्व आते हैं। पर्युषण पर्व भी उसी श्रृंखला की कड़ी है परंतु इसका स्वरूप अन्य पर्वो से अवश्य भिन्न है। यह विशुद्ध अध्यात्मिक एवं आत्मावलोकन का पर्व है इस पर्व पर जैन समुदाय के भावकगण तप, ज्ञान, चरित्र एवं समता की अराधना करते हुए चौरासी लाख यौनी के सभी जीवों से अर्न्तआत्मा से क्षमायाचना करके सहितष्णुता एवं मैत्री की अराधना को मजबूती प्रदान करते हैं।
उक्त विचार पर्युषण पर्व पर आयोजित एक गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेशीय श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष के.सी. जैन ने व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में चारों तरफ अहंकार, हिंसा, अराजकता, ईष्या एवं वैमनस्य का बोलबाला है। ऐसे समय में स्वयं की प्रेरणा से आत्मावलोकन करते हुए अहिंसा एवं क्षमा की आराधना करने वाले पर्वो की महत्ता बढ़ जाती है। इसलिए पर्युषण अराधना का यह अवसर व्यक्ति को सुधरने का एक अवसर प्रदान करता है। व्यक्ति अपनी भूलों की क्षमा याचना एवं औरों की भूलों को क्षमा करते हुए प्राणी मात्र के प्रति मैत्री भाव का संकल्प करें। अंत में क्षमा वीरस्य भूषणम् अहिंसा परमो धर्म् के उद्घोषों एवं प्राणी मात्र की शुभकामनाओं से गोष्ठी का समापन हुआ। इस अवसर पर पुष्पराज, अभिषेक, अनिल, आशीष, अंकित, संजय, पुष्पा, मंजू, सुधा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।