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आत्म नैर्मल्य का पर्व है संवत्सरी: मुनि रमेश
लुधियाना पंजाब २३ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
इकबाल गंज चौक स्थित तेरापंथ भवन में संवत्सरी महापर्व पर मुनि रमेश कुमार जी ने कहा कि आत्म नैर्मल्य का महापर्व है, संवत्सरी। व्यक्ति आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाना क्षमा की पावन धारा से ही संभव है। जो श्रावक होकर इस अवसर पर दिल से क्षमा का आदान-प्रदान नहीं करता। उसके श्रावकत्व और सम्यक्त्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। संवत्सरी के दिन आंतरिक मनोविकारों से मुक्त होकर आत्मा की निर्मलता को प्रकट करें। उन्होंने कहा कि आज के पर्व की महत्ता को उजागर करते हुए मुनिवर भगवान महावीर के साधना काल, कैवल्य प्राप्ति तथा अन्य गणधरों आचार्यो का साधना व जीवन दर्शन के बारे में बताया।
मुनि चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि आत्म निरीक्षण आत्म संरक्षण और आत्मा की सन्निकटता का पावन पर्व यह संवत्सरी पर्व है। चातुर्मास काल के 49 दिन पश्चात 50वें दिन मनाया जाने वाला यह पर्व विभाव से स्वभाव में लौटने का सात्विक पर्व है। समता, क्षमा और संयम को आत्मसात कर गहराई में उतर कर आत्मा का संदेश प्राप्त करें। दिन-रात उपवास, सामायिक, पौषध कर आत्म चिंतन कर अपनी भूलों का परिष्कार करें। इस अवसर पर 8 दिन की निराहार तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का तप अनुमोदन किया गया। तेरह वर्षीय बालिका उर्वशी चोपड़ा ने अठाई तप कर हिम्मत का परिचय दिया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद व महिला मंडल की ओर से तपस्वियों का अभिनंदन किया गया।