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तेरापंथ भवन में मनाया गया संवत्सरी पर्व
लुधियाना २६ अगस्त २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आत्मा को शुद्ध एवं पवित्र बनाना क्षमा की पावन धारा से ही संभव है। जो श्रावक होकर संवत्सरी के पावन दिन दिल से क्षमा का आदान-प्रदान नहीं करता उसके श्रावकत्व और सम्यकत्व पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है। संवत्सरी का दिन आंतरिक मनोविकारों से मुक्त होकर आत्मा की निर्मलता को प्रकट करना चाहिए।
मुनि रमेश कुमार ने उक्त विचार इकबाल गंज रोड स्थित तेरापंथ भवन में संवत्सरी पर्व पर विशाल धर्म सभा में श्रावकों के समक्ष पेश किए। संवत्सरी पर्व की महत्ता उजागर करने के साथ मुनि रमेश कुमार ने भगवान महावीर के साधना काल, केवल ज्ञान प्राप्ति और अन्य गणधर एवं आचार्यों की साधना एवं जीवन दर्शन के बोर में बताया। मुनि चैतन्य कुमार अमन ने कहा कि संवत्सरी का दिन आत्म निरीक्षण, आत्म संरक्षण का दिन है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास के 50 दिन मनाने वाले इस पर्व पर समता, क्षमा और संयम को आत्म सत कर आत्मा का संदेश प्राप्त करना चाहिए। सभा में निरंतर आठ दिन तक तप करने वाले श्रावक श्राविकाओं का तप अनुमोदन किया गया। रेखा सुराणा, नीलू दुग्गड़, सरोज कोचर, सावित्री गोयल, ममता सुराणा व प्रेक्षा जैन की तपस्या का अभिनंदन किया गया। सुश्रावक रतनलाल धाड़ीवाल ने 5 दिन का 40 पहर का पौषध कर साधु का जीवन व्यतीत किया। सुश्रावक विजय राज सुराणा ने एकांतर तप के साथ 7 दिन की तपस्या से दृढ़ धार्मिक श्रद्धा प्रस्तुत की। इस मौके पर तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद एवं तेरापंथ महिला मंडल के सदस्य मौजूद रहे।
तेरापंथ भवन में संवत्सरी महापर्व के दौरान श्रद्धालु।