Sixty school's students and teachers took training of Jeevan Vigyan. Acharya Mahashraman advised to be alert every moment and to seek knowledge. Muni Kishanlal gave training at camp.
जीवन विज्ञान विद्यार्थी शिक्षक प्रशिक्षण का समापन
जसोल २९ सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
शिक्षा विभाग(माध्यमिक) बाड़मेर एवं जीवन विज्ञान अकादमी जसोल के संयुक्त तत्वाधान तथा आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में तेरापंथ भवन जसोल में आयोजित जीवन विज्ञान विद्यार्थी शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का शुक्रवार को समापन हुआ। शिविर में बाड़मेर जिले की सिवाना व बालोतरा पंचायत समिति क्षेत्र के करीब 60 स्कूलों से एक-एक शिक्षक व दो-दो विद्यार्थियों ने भाग लेकर जीवन विज्ञान का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
शिविर में संभागियों को संबोधित करते हुए आचार्य ने महाश्रमण ने कहा कि सत् पुरुषार्थी लोगों के लिए आलस्य महान शत्रु होता है और श्रम के समान कोई मित्र नहीं है। आदमी को भाग्य के भरोसे नहीं बैठकर निरंतर स्वाध्याय, सेवा, तपस्या के शुभ योगों के द्वारा कर्म-निर्जरा करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल सरस्वती का मंदिर होते हैं, जहां ज्ञान की आराधना होती है। शिविर में मुनि किशनलाल ने भी विचार व्यक्त किए। शिविर में मुख्य रुप से प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। शिविर संभागियों को अणुव्रत गीत, समपाद आसन, ताड़ासन, कोणासन, पादहस्तासन, यौगिक क्रियाएं, महाप्राण सहित संकल्प एवं सत्य की वंदना के प्रायोगिक अभ्यास के साथ सैद्धांतिक जानकारी दी गई। प्रशिक्षण क्रम में मुनि किशनलाल के साथ-साथ मुनि मदन कुमार का सहयोग प्राप्त हुआ। जीवन विज्ञान अकादमी लाडनूं के सहायक निदेशक हनुमान मल शर्मा ने आसन प्राणायाम के साथ प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान का प्रायोगिक प्रशिक्षण एवं अभ्यास करवाया। शिविर में अकादमी जसोल के संयोजक रमेश बोहरा सहित आचार्य महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।
जसोल २९ सितम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
शिक्षा विभाग(माध्यमिक) बाड़मेर एवं जीवन विज्ञान अकादमी जसोल के संयुक्त तत्वाधान तथा आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में तेरापंथ भवन जसोल में आयोजित जीवन विज्ञान विद्यार्थी शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का शुक्रवार को समापन हुआ। शिविर में बाड़मेर जिले की सिवाना व बालोतरा पंचायत समिति क्षेत्र के करीब 60 स्कूलों से एक-एक शिक्षक व दो-दो विद्यार्थियों ने भाग लेकर जीवन विज्ञान का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
शिविर में संभागियों को संबोधित करते हुए आचार्य ने महाश्रमण ने कहा कि सत् पुरुषार्थी लोगों के लिए आलस्य महान शत्रु होता है और श्रम के समान कोई मित्र नहीं है। आदमी को भाग्य के भरोसे नहीं बैठकर निरंतर स्वाध्याय, सेवा, तपस्या के शुभ योगों के द्वारा कर्म-निर्जरा करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल सरस्वती का मंदिर होते हैं, जहां ज्ञान की आराधना होती है। शिविर में मुनि किशनलाल ने भी विचार व्यक्त किए। शिविर में मुख्य रुप से प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। शिविर संभागियों को अणुव्रत गीत, समपाद आसन, ताड़ासन, कोणासन, पादहस्तासन, यौगिक क्रियाएं, महाप्राण सहित संकल्प एवं सत्य की वंदना के प्रायोगिक अभ्यास के साथ सैद्धांतिक जानकारी दी गई। प्रशिक्षण क्रम में मुनि किशनलाल के साथ-साथ मुनि मदन कुमार का सहयोग प्राप्त हुआ। जीवन विज्ञान अकादमी लाडनूं के सहायक निदेशक हनुमान मल शर्मा ने आसन प्राणायाम के साथ प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान का प्रायोगिक प्रशिक्षण एवं अभ्यास करवाया। शिविर में अकादमी जसोल के संयोजक रमेश बोहरा सहित आचार्य महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।