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Jasol: 02.10.2012
Keep Sanyam, Do Sadhana and Upasana, Acharya Mahashraman Advised Old Age People.
News in Hindi
वृद्धावस्था में खूब करें साधना-उपासना: आचार्य महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) ०२ अक्तूबर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने व्यक्ति को सराहनीय बनने की प्रेरणा देते हुए कहा कि मानव के जीवन में कभी अनुकूलताएं तो कभी प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा होती है। व्यक्ति को इन दोनों ही परिस्थितियों में समान रहना चाहिए। आचार्य सोमवार को चातुर्मास प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने विश्व वृद्धजन दिवस पर कहा कि सत्तर की आयु की संपन्नता के बाद वृध्दजन बढ़ता है। वृद्धजन प्रखर होती जाती है। सात दशकों का जीवन जी लेने के बाद व्यक्ति में अनुभव आ सकती है। व्यक्ति को इस अवस्था के बाद जीवन जीने के तरीके पर चिंतन करना चाहिए। क्योंकि इस अवस्था में शरीर में कुल ढीलापन आना स्वाभाविक है। 40 वर्ष की अवस्था तक आरोहण का समय व 40 के बाद अवरोहण का समय शुरू हो जाता है। वृद्धावस्था में आदमी को सेवा की अपेक्षा रहती है। लोग सेवा करते भी है। वृद्ध व्यक्ति जितना हो सके स्वावलंबी बने रहने का प्रयास करें। श्रम करना शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा है। आचार्य ने कहा कि वृद्ध को आवश्यक सेवा न मिले तो उसका वृद्धत्व असमय वाला बन जाता है। वृद्ध आदमी की सेवा, उपासना व अभिवादन करना चाहिए। यह शिष्टाचार होता है। ऐसे व्यक्ति की आयु, विद्या, यश व बल बढ़ता है। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि वृद्ध खूब साधना, उपासना करें, संयम रखें। जिससे उनकी आत्मा निर्मल हो सके और अगली गति भी अच्छी हो सके। कार्यक्रम में मंत्री मुनि सुमेरमल का प्रेरणादायी उद्बोधन हुआ।