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Jasol: 12.10.2012
Acharya Mahashraman said people to do good deeds.
News in Hindi
व्यक्ति अच्छे कर्म करें: आचार्य
जसोल.१२.१०.१२. (भा.सं.) प्रस्तुति - संजय मेहता (जैन न्यूज ब्योरों)
अध्यात्मवादी विचारधारा आस्तिक दर्शन व भौतिकवादी विचारधारा नास्तिक दर्शन से जुड़ी हुई है। नास्तिक दर्शन आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता। अध्यात्म में इससे भी आगे की दुनिया को बताया गया है। यह आस्तिक विचारों वाला मंगल वक्तव्य आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को धर्मसभा में उपस्थिति जनमेदनी को सत्कर्म करने की प्रेरणा देते हुए दिया।
उन्होंने कहा कि आदमी जो कर्म करता है वह उसे भोगना ही पड़ता है। आदमी अशुभ काम नहीं करे और भले काम करें। अच्छे काम से उसका वर्तमान ठीक रहेगा। व्यक्ति परलोक को माने या न माने पर गलत काम नहीं करें। भौतिक विचारधारा आदमी को नास्तिक व आध्यात्मिक विचारधारा आदमी को आस्तिक बनाने वाली होती है। आचार्य ने कहा कि भारत देश के पास अध्यात्म का खजाना है। साधना से मिश्रित वाणी के ग्रंथों का खजाना है। आचार्य ने कहा कि आदमी आसक्ति से मुक्त होने का प्रयास करें। आसक्ति से मुक्त होने पर वह परम की प्राप्ति कर सकता है। उन्होंने कहा कि भौतिकवादी विचारधारा व्यक्ति को भौतिकता की ओर तथा अध्यात्म विचारधारा भीतर की ओर ले जाती है।
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि व्यक्ति अज्ञान में न फंसे। मनुष्य शरीर मिला है, दिमाग मिला है, आंखें मिली है तो वह इसका उपयोग करे, सोच कर क्रम को बनाएं। व्यक्ति हित अहित को समझे फिर आगे बढ़े। देखा-देखी न करे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक के प्रांत प्रचारक प्रमुख नंदलाल जोशी ने आचार्य की अभ्यर्थना करते हुए कहा कि भारत के ऋषि मुनियों ने पूरे विश्व एक चिंतन दिया है। वे स्वयं नैतिकता से जीए है और सभी को नैतिकता का संदेश दिया है। कार्यक्रम में उत्तर कर्नाटक से समागत संघ की ओर से सेवा समिति अध्यक्ष केवलचंद बाफना ने अपना वक्तव्य दिया। पारसमल दुगड़ ने मुद्रा विज्ञान व रंग चिकित्सा मराठी अनुवादित पुस्तक आचार्य को उपहृत की व अपने विचार व्यक्त किए। संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।