ShortNews in English
Jasol: 08.11.2012
Acharya Mahashraman said to do Sadhana for victory over sensory organs. he also said to use sensory organs for good work.
News in Hindi
व्यक्ति करें इंद्रिय विजय की साधना' - आचार्य श्री
जसोल(बालोतरा) 08 नवबर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
काम भोग क्षण मात्र सुख देने वाले होते हैं और बहुत काल तक दुख देने वाले बन जाते हैं। संसार से मुक्ति मार्ग के विपरीत व अनर्थों की खान काम भोग है। सांसारिक प्राणी इंद्रिय से जीवन जीता ही इंद्रियों का प्रयोग करता है। ज्ञान का माध्यम भी ये इंद्रियां बनती है। व्यक्ति को सुनने से, देखने से ज्ञान मिलता है। प्राण से भी ज्ञान होता है। रखना व स्पर्श, इंद्रियों से भी ज्ञान होता है इसलिए ये ज्ञानेंद्रियां भी है। इन इंद्रियों से भोग भी होता है। व्यक्ति कान का सदुपयोग करें, अच्छा प्रवचन गुरुवाणी, ज्ञान की बात सुने। भक्ति, अध्यात्म के गीतों का श्रवण करें। आदमी कल्याण की बात व पाप को भी सुनकर जानता है। जो श्रेय होती है, उसका आचरण करना चाहिए। आदमी आंख का सदुपयोग करें, बड़े साहित्य पढ़े, संतों का दर्शन करें। इंद्रियों के उपयोग के लिए राग-द्वेष से मुक्त होने का प्रयास करें। अनिमेष प्रेक्षा करें। नासाग्र पर ध्यान का प्रयोग करें। जिव्हा का संयम करें। त्वचा द्वारा स्पर्श का संयम करें। ऐसा करने से इंद्रिय विजयी की साधना की जा सकती है। आचार्य ने साध्वी कमलप्रभाजी के संयम पर्याय के 50 वर्ष पूर्ण होने पर अध्यात्म व साधना का आशीर्वाद दिया। रवि जैन ने हे महाश्रमण वंदन-वंदन गीत का संगान किया। आचार्य ने पटाखे नहीं छोडऩे की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि पटाखे छोडऩे से हिंसा होने की संभावना रहती है। कार्यक्रम में साध्वी कमलप्रभा के 50 वर्ष संयम पर्याय के पूर्ण होने पर साध्वी योगप्रभा व मुनि जितेंद्र कुमार ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साध्वी कमलप्रभा ने आचार्य के प्रति अपने श्रद्धानिष्ठ भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांश कुमार ने किया।