ShortNews in English
Jasol: 12.11.2012
Acharya Mahashraman said that we cannot rule out outcome of luck but luck can be built by manliness.
News in Hindi
भाग्य की पृष्ठभूमि में है पुरुषार्थ का निवास ' आचार्य श्री महाश्रमण
जसोल(बालोतरा) 12 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
भाग्यवाद भी एक सिद्धांत है, भाग्य में बहुत कुछ मिल जाता होगा, दुनिया में ज्योतिष विद्या भी चलती है, कोई कुंडली देखकर तो कोई हस्त रेखाओं के माध्यम से तो कोई प्राचीन ग्रंथ द्वारा भविष्य बताते हैं। लेकिन हमारे जीवन में अगर कोई परम कल्याण मित्र है तो वो है, सद्पुरुषार्थ। ये उद्गार रविवार को जसोल के वीतराग समवसरण में रविवारीय प्रवचन में 'मूल्य पुरुषार्थ' का विषय पर प्रज्ञा महर्षि आचार्य महाश्रमण ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मात्र भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए आखिर व्यक्ति को भविष्य जानने की इच्छा उत्कंठा क्यों? पद प्रतिष्ठा धन मिल गया तो क्या खास बात है। चिंतन के बिंदु तो यह है कि क्या मैं स्वयं के आत्म कल्याण, आत्म साधना व आत्मा को निर्मल बनाने के लिए कुछ कर रहा हूं। आयुष्य जितना है उतना तो पूरा होगा ही, दो चार वर्ष कम ज्यादा आयुष्य हो गया तो क्या? व्यक्ति को एक-एक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। एक दूसरे की भलाई, उपकार में समय नियोजित करें, लोगों को ज्ञान दें। दुखी आदमी के दुख दर्द को समझ उसके निराकरण में सहयोगी बनें। मनुष्य की ये वृत्ति सद्पुरुषार्थ की परिचायक है मात्र भविष्य जानने के लिए ज्योतिषियों के यहां चक्कर काटने में समय गंवाना निरर्थक है, जैन वांग्मय में कहा गया है कि आत्मा ही हमारी मित्र है और आत्मा ही हमारी शत्रु है। इसी तरह संस्कृत के एक श्लोक में उल्लेखित है कि उद्यमशील व पुरुषार्थी व्यक्ति के पास ही लक्ष्मी का निवास रहता है। भागवत गीता में पुरुषार्थ को महत्व देते हुए कहा गया है कि तुम्हारा पुरुषार्थ कर्म करने में है। आचार्य ने का कि जीवन में पुरुषार्थ अच्छी शक्ति है, अगर पुरुषार्थ अच्छा है तो फल भी अच्छा ही होगा। भगवान महावीर ने अपनी साधना कैवल्य प्राप्ति के बाद कितना पराक्रम किया था। तेरापंथ धर्मसंघ के जनक आचार्य भिक्षु ने विरोध अवरोध के बीच गजब का पुरुषार्थ किया था। वे संघ के कार्यों में इतने लिप्त रहते थे कि रात-रात भर वे सो नहीं पाते थे। आचार्य तुलसी ने धर्मसंघ ने तो धर्मसंघ की व्यवस्था का काम अकेले ने संभाला। मर्यादा महोत्सव में किन साधुओं को किधर भेजना, राजस्थान से कन्याकुमारी तक कोलकाता जैसे दूर-दराज क्षेत्रों की पद्यात्रा आदि करना पुरुषार्थ के ज्वलंत उदाहरण है। आचार्य ने कहा कि भाग्य की आत्मा भी पुरुषार्थ है यानि भाग्य की पृष्ट भूमि में पुरुषार्थ निवास करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का मन पवित्र विचार वाला होना चाहिए। विचार आचार और व्यवहार जागृत है तो मानना चाहिए कि पुरुषार्थ का देवता जागृत है। व्यक्ति को नि_लता नहीं बैठना चाहिए यह जीवन की हार है। इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल ने भी उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।
सातों सुख पुस्तक का विमोचन: सेवा कारी श्रावक फतेहचंद भंसाली के व्यक्तित्व व जन उपयोगी विषयों से युक्त पुस्तक सातों सुख का विमोचन रविवार को प्रवचन सभा में आचार्य महाश्रमण ने किया। आरती जैन व खुशबू जैन की ओर से प्रकाशित इस पुस्तक के संदर्भ में अणुव्रत पत्रिका के संपादक महेंद्र कर्नाटक व समाजसेवी मुरली कांटेड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान संपादक आरती जैन व भंसाली के सुपौत्र यशस्व भंसाली ने अपने उद्गार व्यक्त किए।
आचार्य ने भंसाली को ऋजु प्रवृति का अद्वितीय व्यक्तित्व बताया व उनकी गुरु निष्ठा व समर्पण भावना की अनुंशसा की।
जसोल. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं व संबोधित करते आचार्य महाश्रमण।