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Jasol: 18.11.2012
Acharya Mahashraman while speaking in seminar for relative economics told that money is needed for running household activity and for material progress money plays great role. He told to earn money is not bad but it should be earned by moral ways. He also told desires are unlimited and 12 vow of householder suggest controlling desires. Money is not everything in word. Governor of Uttar Pradesh Sri Joshi also spoke on this occasion besides many other economist.
News in Hindi
दुनिया में पैसा ही सब कुछ नहीं: आचार्य महाश्रमण
रिलेटिव इकोनॉमी विषय पर सेमीनार का आयोजन, देश-विदेश के अर्थशास्त्री पहुंचे जसोल, यूपी के राज्यपाल जोशी ने कहा, सारी उपलब्धियों के बावजूद लोगों का पेट भरने की चिंता
जसोल(बालोतरा) जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
इच्छा अगर फैल जाए तो आकाश के समान अनंत हो जाती है। इच्छाओं के असीमित हो जाने से अपराध की वृत्ति पनपती है। जैन धर्म के 12 व्रतों के अंतर्गत इच्छा परिणाम का उल्लेख है। ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने शनिवार को जसोल के तेरापंथ भवन स्थित वीतराग समवसरण में रिलेटिव ईकोनॉमी विषय पर आयोजित सेमीनार में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि अर्थ के प्रति आकांक्षा रखना बुरा नहीं है, लेकिन अति महत्वाकांक्षा रखना हितकर नहीं । यह सही है कि अर्थ के बिना देश का विकास संभव नहीं है। पैसे से जीवन यापन होता है, इसलिए ये जरूरी भी है। पैसा कमाना कोई बड़ी बात नहीं, अप्रामाणिकता से करोड़ों अरबों भी कमा लें, कोई महत्वपूर्ण बात नहीं। अगर प्रामाणिकता से व्यक्ति लाख भी कमा ले तो उन करोड़ों अरबों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। पैसे का महत्व है पर पैसा सब कुछ नहीं। वर्तमान के भौतिक युग में लोग अटपटी परिभाषा गढ़ते हुए यह कहते नजर आते हैं कि पैसा ईश्वर तो नहीं है लेकिन ईश्वर से कम भी नहीं है। पैसा प्राप्ति के लिए प्रामाणिकता और उपभोग में विवेक व संयम की महत्ती आवश्यकता है। अन्यथा यह प्रवृत्ति अनर्थकारी है। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति में अनुकंपा व दया की भावना रहनी चाहिए।
गरीबों असहायों व दुखियों की सेवा का भी लक्ष्य हो। पदार्थ के प्रति ज्यादा आसक्ति नहीं रखनी चाहिए। आदमी यह सोचे की मेरे पास धन संपदा है तो क्या मैं उसका अकेले उपभोग कर रहा हूं या लोगों के लिए उपयोगी बन रहा हूं। आचार्य ने कहा कि अगर जन-जन में अणुव्रत की पालना हो जाए तो हर नागरिक में नैतिक विकास संभव है तथा देश की एक उज्जवल तस्वीर प्रस्तुत हो सकती है। आचार्य महाप्रज्ञ ने सदैव सापेक्ष अर्थशास्त्र की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि भारत ऋषि मुनियों की भूमि हैं संतों का एक मिशन है कि आध्यात्मिक व नैतिक विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। आचार्य ने कहा कि समाज के लिए एक अर्थ नीति जरूरी है। भारत या किसी राष्ट्र के विकास में ये बिंदु आवश्यक है- पहला भौतिक विकास, दूसरा आर्थिक विकास, तीसरा नैतिक विकास तथा चौथा आध्यात्मिक विकास।
इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल लाडनूं ने कहा कि पदार्थ की उपेक्षा नहीं की जा सकती। शेष त्नपेज १४
पदार्थ भोग व उपभोग का कारण है लेकिन इसके साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि सबकुछ पदार्थ नहीं है। व्यक्ति को संयम का सहारा लेना चाहिए। मुनि महेंद्रकुमार ने कहा समाज और जीवन का सारा ढांचा अर्थशास्त्र से जुड़ा हुआ है। साध्वी प्रमुखा महाश्रमणी कनकप्रभा ने कहा कि अर्थशास्त्र की यह परिभाषा है कि व्यक्ति अपना भरण पोषण कर सके व समाज का विकास भी कर सके। आज सामाजिक ढांचा लडखड़़ा रहा है। जीवन मूल्य कम हो रहे हैं। पर्यावरण दूषित है, इच्छाएं असीमित है। चेन्&52द्भ;नई से आए चतुर्वेदी स्वामी ने प्रासंगिक उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का आगाज मुनि जम्बू कुमार ने शांति का संदेश गीत के द्वारा किया। जैन विश्व भारती डीम्ड यूनिवर्सिटी की उप कुलपति चारित्र प्रभा एवं जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के उप कुलपति बीएम राजपूत ने अपने विचार व्यक्त किए। स्वागत भाषण शांतिलाल ने दिया। चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक गौतम सालेचा ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यपाल बीएल जोशी का स्मृति चिह्न प्रदान कर व्यवस्था समिति संयोजक गौतम सालेचा, अध्यक्ष जसराज बूरड़, महामंत्री शांतिलाल भंसाली ने बहुमान किया। राज्यपाल का परिचय टीकम चंद सेठिया ने दिया। संचालन बजरंग जैन ने किया।
भोग-उपभोग पर अंकुश लगाने की जरूरत: जोशी
जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
वर्तमान में भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व पर संकट के बादल है तथा पूरी दुनियासमस्याओं से जूझ रही है। आज भोग उपभोग पर कोई सीमा नहीं है। हमें इस पर अकुंडा लगाने की आवश्यकता है। आज कुछ लोगों के पास अपार संपदा है और कुछ मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित है। मानव केंद्रित अर्थशास्त्र सभी की जरूरतों की पूर्ति करें। ये उद्बोधन उत्तरप्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टीच्यूट्स ऑफ रिलेटिव ईकोनॉमी की ओर से आयोजित दो दिवसीय सेमीनार में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा हो, शिक्षा स्वास्थ्य की मूलभूत आवश्यकता सभी की पूरी हो। आज सारी उपलब्धियों के बावजूद लोगों का पेट भरने की चिंता है। आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ दोनों केवल धार्मिक संत ही नहीं थे अपितु दोनों विषय पर उनके ज्ञान का प्रकाश अपनी प्रज्ञा से आलोकित करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आचार्य महाश्रमण आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ के चिंतन को आगे बढ़ाने में प्रयत्नशील है। जोशी ने कहा कि भगवान महावीर के दर्शन एवं सिद्धांतों को अपनाने से विश्व अनेक समस्याओं से निजात पा सकता है।
1 जसोल. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं। २. संबोधित करते अतिथि। ३. सेमीनार में उपस्थित देश-विदेश से आए अर्थशास्त्री।