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Uklana: 18.11.2012
Sadhvi Vinayvati told people to remove ego from their life.
News in Hindi
अहकार मनुष्य की प्रतिष्ठा में बाधक: साध्वी विनयवती
Updated on: Sun, 13 Nov 2011 01:34 AM (IST)
उकलाना, हरियाणा जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
समाज हमेशा अहकारी व्यक्ति से दूर रहने का प्रयास करता है और अहकार मनुष्य की बढ़ती
प्रतिष्ठा में बाधक सिद्ध होता है। यह उदगार आचार्य महाश्रमण जी की सुशिष्याश्री विनयवतीजी ने मर्यादा आवास में व्यक्त किए। वह प्रवास के दौरान प्रवचन कर रही थी। उन्होंने विषय को बढ़ाते हुए कहा कि मनुष्य की शुद्ध भावना व वाणी में मिठास के बिना किया गया दान सार्थक नहीं होता इसलिए दान करने के समय सहयोग का भाव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गुणवान व्यक्ति को अपनी गुणवत्ता का अभिमान होने पर उसमें से सुगंध के बजाए दुर्गध आने लगती है। इसलिए मनुष्य को अहकार नहीं करना चाहिए। मनोहर व्याख्यानी साध्वी ने महाभारत का दृष्टात देते हुए कहा कि जैसे ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सामने कर्ण के दानी होने की प्रशसा की तो अर्जुन तिलमिला उठा परतु दूसरे ही क्षण श्रीकृष्ण ने एक ऐसा व्यक्ति दिखाया जिसका पूरा शरीर सोने जैसा परतु मुंह सूअर जैसे था। पूछने पर उसने बताया कि उसने दान तो बहुत किया परतु अहकार था जिससे उसकी यह दशा हुई। इस मौके पर साध्वीश्री मधुमती व साध्वीश्री अर्हम मौजूद थी।