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Asadha: 23.01.2013
Acharya Mahashraman explained meaning of Guru. Gu means darkness and Ru means to remove it. Guru takes people towards light from darkness.
News in Hindi
गुरु अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता हैं: आचार्य
मुमुक्षुओं के वरघोड़े में उमड़े श्रावक-श्राविकाएं, दीक्षा आज
असाड़ा (बालोतरा) 23 जून 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
'गुरु हमें निर्वाण की ओर ले जाने वास्ते हैं। यह संसार अंधकारमय है। गुरु हमें अंधकार से मुक्त कर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। हमें जो एक अक्षर का ज्ञान देता है, वह भी गुरु कहलाता है।' ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार को असाड़ा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि गुरु हमें ज्ञानवान बनाता है और हमें आगे बढ़ाता है। गुरु स्वयं तरता है और दूसरों को भी तारता है। हमारा सौभाग्य है कि हमें आचार्य महाप्रज्ञ के रूप में सद्गुरु प्राप्त हुए, जो एक महान ज्ञानी थे। हमें गौरव है कि हमें ऐसे महान गुरु मिले। सबको अपने गुरु के प्रति गौरव का भाव होना चाहिए। आचार्य ने कहा कि गुरु गौरव का भाव हमें अधिक आत्मीय बनाते हैं। गुरु चाहे कहीं भी हो हमारे संत साध्वियां हजारों किलोमीटर दूर होते हैं। गुरु से दूर होते हैं पर हमें ध्यान करे तो गुरु हमारे ह्रदय में विराजित हो सकते हैं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम हमारे गुरु के सामने किस रूप में रहें। हमारा उनके सामने कैसा व्यवहार हो, यह विचारणीय है। हम जब गुरु से बात करें तो हमारे हाथ जुड़े होने चाहिए। यह केवल बाह्य सम्मान नहीं अंत: करण से होना चाहिए। गुरु का सम्मान हमारा सम्मान बढ़ाता है।
तेरापंथ धर्मसंघ में विनय की परंपरा को बताते हुए आचार्य ने कहा कि हम देखे मंत्री मुनि मगनलाल स्वाजी जो 80 वर्ष के थे। फिर भी उनकी आचार्य तुलसी के प्रति विनम्रता जोड़ दी। वे अपने पुण्य को प्रति पूजा का भाव रखते थे। यदि पुण्य के प्रति पूजा का भाव न हो तो कर्तव्य पूरा नहीं होता। गुरु के सामने हमें बच्चा बनकर रहना चाहिए। अहंकार नहीं रहना चाहिए। अकड़ नहीं रखनी चाहिए। अन्यथा उसका परिणाम सुंदर नहीं होता। हमें गुरु जो इंगित दें, गुरु हमारे प्रति जो इशारा करे, आज्ञा दें, उसे ही ध्यान में रखकर जीवन बयान का प्रयास करना चाहिए। मुनि हिमांशुकुमार ने अपने संसारपक्षीय गांव में सुदीर्घ यात्रा करके आए है। आचार्य के प्रति अपनी भावाभिव्यक्ति दी।