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जैन संत ने श्मशान में बिताई रात
आचार्य सुकुमालनंदी ने चिता स्थल पर ध्यान किया
दिगंबर जैन संत आचार्य सुकुमाल नंदी ने शनिवार 19 अक्टूबर 2013 की रात राजस्थान राज्य के भीलवाड़ा शहर स्थित पंचमुखी श्मशान में बिताई। यहां उन्होंने रात्रि में चिता स्थल पर ध्यान किया व श्मशान के वाचनालय में महापुरुषों की पुस्तकों का स्वाध्याय किया। रात करीब साढ़े नौ बजे आचार्य चिता स्थल पर ध्यान-साधना के लिए बैठे। इससे पूर्व वे वाचनालय में पुस्तकों के बीच रहे। रविवार सुबह साढ़े छह बजे तक आचार्य श्मशान में रहे। पुष्करवाणी ग्रुप ने भीलवाडा से प्रकाषित दैनिक भास्कर समाचार पत्र से जानकारी देते हुए बताया कि पंचमुखी मुक्तिधाम विकास समिति के सचिव बाबूलाल जाजू ने बताया कि समाजजनों द्वारा श्मशान में न रुकने का आग्रह किया गया था। लेकिन आचार्य द्वारा रात्रि में यहीं ध्यान किया गया। आचार्य सुकुमालनंदी ने इस अवसर पर कहा कि आत्म चिंतन का सर्वश्रेष्ठ स्थान श्मशान है। श्मशान में आने वाले व्यक्ति पर श्मशान का इतना प्रभाव होता है कि उसे छल, कपट, आडंबर आदि से छुटकारा मिलता है। उसमें सद्विचारों का समावेश हो जाता है।
चित्र में. पंचमुखी मुक्तिधाम में ध्यान करते आचार्य सुकुमालनंदी।