[Hindi]:
जिन हाथों से प्रतिमा का निर्माण किया उन हाथों से अब मांसाहार नहीं करेगे।
प्रभु आदिनाथ की प्रतिमा बनाने वाले 30 मुस्लिमों ने मांसाहार त्यागा।
राजस्थान के कोटा शहर के दादाबाड़ी छोटे चौराहे पर बुधवार सुबह को गुजरने वाला प्रत्येक व्यक्ति वहीं ठहर गया। 22 पहियों के ट्रॉले में विराजी 21 फीट ऊंची भगवान आदिनाथ की प्रतिमा के समक्ष हर कोई दोनों हाथ जोड़े, सर झुकाए आश्चर्य से टकटकी लगाए निहारता रहा। जैसे-जैसे समाजबंधुओं को पता चला, वे सब काम छोड़कर दौड़े-दौड़े दर्शनों को पहुंचे। भगवान आदिनाथ की प्रतिमा जयपुर में तैयार हुई, जो पंचकल्याणक के लिए ललितपुर (उ.प्र.) जा रही है। पुष्करवाणी ग्रुप ने जानकारी लेते हुए बताया कि ललितपुर (उ.प्र.) के देवगढ़ रोड पर मंदिर 9 एकड़ जमीन पर तैयार हो रहा है। प्रतिमा कोटा इसलिए लाई गई, क्योंकि मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज से इसकी शुद्धि करवानी थी। महाराज ने जैसे ही प्रतिमा से चढ़ा केसरिया कपड़ा हटवाया तो आसमान में बड़े बाबा के जयकारे गूंज उठे। उन्होंने मंत्रोच्चार से प्रतिमा की शुद्धिकरण विधि प्रारंभ की। प्रभु के ललाट पर तिलक लगाया गया, आखों में काजल लगाया गया और कानों में रक्षा सूत्र बांधा गया। विधि देखने लोग छतों पर चढ़ गए तो कुछ मोबाइल और कैमरों में कैद करते रहे।
30 मजदूरों ने ली शपथ:
प्रतिमाबनाने वाले 40 में से 30 मजदूर मुस्लिम समाज से हैं। उन्होंने इस पवित्र काम को करने से पहले तथा अब आजीवन शराब व मांस का सेवन नहीं करने की शपथ ली है। जिसकी सबने सराहना की।
1.61लाख की बोली:
प्रतिमाकी शुिद्धकरणविधि के पहले तिलक की बोली लगाई गई। बोली 1.61 लाख में वंदना बड़जात्या के नाम छूटी। इस मौके पर 1008 नारियल भी चढ़ाए गए। प्रत्येक नारियल की रािश 1100 रुपए रखी गई थी।
5 साल बाद पूज्य बनेगी प्रतिमा
जैनदर्शन के मुताबिक प्रतिमा तब तक पूजनध्वंदन योग्य नहीं होती, जब तक प्रतिमा को पंचकल्याणक विधि पूर्वक सूर्य मंत्र नहीं दिया जाए। पंचकल्याणक 5 साल बाद होगा।
02 साल लगे बनने में
40 मजदूर लगे दिन-रात
36 टन वजनी
21 फीट 6 इंच लंबी