Akshaya Tritiya Celebration in Presence of Muni Jinesh Kumar

Published: 01.05.2025
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Kolkata 30.04.2025:

[01/05, 9:54 pm] Sushil Bafana: Muni Jinesh Kumar further said that penance is the path to salvation. The ritual of fasting for one day for thirteen months and ten days and consuming food for one day is called Varshitapa. On the day of Akshaya Tritiya, ascetics perform Parana from Ikshuras and perform penance. Today, 20  sisters are present in Mahashraman Vihar. They all deserve to be praised. Amref and Saltlake Sabha employed their labour and power. Good luck to all.

Muni Kunal Kumar performed a sumptuous song.Muni Parmanand conducted the program. 

*अक्षय तृतीया एवं वर्षीतप पारणा समारोह का भव्य आयोजन* 


*सभ्यता व संस्कृति की विकास यात्रा के पुरोधा थे भगवान ऋषभ- मुनिश्री जिनेशकुमारजी*


राजारहाट कोलकाता 


युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के शिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में अक्षय तृतीया एवं वर्षीतप पारणा समारोह का भव्य आयोजन आचार्य महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन एवं श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा साल्टलेक के संयुक्त तत्वावधान में महाश्रमण विहार न्यु टाउन राजारहाट में आयोजित हुआ। समारोह में 20 वर्षीतप अराधिका बहनें सम्मिलित हुईं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा अक्षय तृतीया का सम्बंध भगवान ऋषभ के वर्षीतप पारणे से जुडा हुआ है। वैशाख शुक्ल तृतीया भगवान ऋषभ के वर्षीतप पारणे से अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध हुई । यह भगवान ऋषभ सभ्यता और संस्कृति की विकास यात्रा के पुरोधा कर्मयुग के प्रवर्तक व धर्मयुग के प्रणेता थे। वे असि मसि, कृषि के मंत्रदाता थे। वे पुरुषार्थ चतुष्ट्‌यी के विशिष्ट प्रवर्तक थे। वे युगद्रष्टा युगस्रष्टा और प्रयोग धर्म थे। उन्होंने शस्त्रयुद्ध को नकारकर आत्म युद्ध की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने कर्म बंधन व कर्म मुक्ति का राज प्रकट किया। ऋषभ का युग, युगबोध, युग निर्माण, युग -विकास व सभ्यता के जन्मका युग था।

मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने आगे कहा - तप मोक्ष का मार्ग है। तेरह महीने दस दिन तक एक दिन उपवास व एक दिन भोजन ग्रहण करने की तपविधि को वर्षीतप कहा जाता है। अक्षय तृतीया के दिन इक्षुरस से तपस्वी पारणा कर तप सम्पन्न करते हैं। आज महाश्रमण विहार में 20 वर्षीतप करने वाली बहिनें उपस्थित हैं । वे सभी साधुवाद की पात्र है। आमरेफ व साल्टलेक सभा ने अपने श्रम व शक्ति का नियोजन किया। सभी के प्रति मंगलकामना ।

मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया । कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल पूर्वांचल की 111 बहिनों द्वारा मंगल मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण द्वारा आमरेफ के अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा साल्टलेक के अध्यक्ष जय सिंह जी डागा ने दिया। इस अवसर पर आमरेक के मुख्य ट्रस्टी तुलसी दृगड़ ने अपने विचार व्यक्त किये। वर्षीतप करने वाली बहिनों के परिवारजनों ने तप अनुमोदना में अपने भावों की प्रस्तुति दी।

आभार ज्ञापन आमरेक के मंत्री सुरेन्द्र जी बोरड व सॉल्टलेक सभा के मंत्री अशोक जी भूतोड़िया ने दिया । कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानंद जी ने व सम्मान उपक्रम का संचालन सुरेन्द्र जी बोरड ने किया। कार्यक्रम के अंत में वर्षीतप तपस्वी बहिनों ने मुनि श्री को इक्षु रस से व्रत निपजाकर वर्षीतप का पारणा किया। कुछ बहिनों ने आगामी वर्ष के लिए पुनः वर्षीतप का संकल्प लिया। वर्षीतप करने वाली बहिनों के नाम - इस प्रकार है 

(1) श्रीमती रेशमी देवी दुगड़ (2) श्रीमती लक्ष्मी देवी बैद (3) श्रीमती हंसा देवी सुराणा (4) श्रीमती बेला पोरवाल (5) श्रीमती सम्पत देवी दुगड़ (6) श्रीमती राजु देवी बैद (7) श्रीमती सरला देवी दुगड़ ( 8) श्रीमती लक्ष्मी देवी चिंडालिया (9) श्रीमती सरोज देवी संचेती (10) श्रीमती प्रेम देवी बरडिया (11) श्रीमती कोमल चोरड़िया (12) श्रीमती मंजू घोड़ावत (13) श्रीमती सुशीला देवी नाहटा (14) श्रीमती चंपा देवी बैद (15) श्रीमती उषा महनोत (16) श्रीमती सुमन संचेती (17) श्रीमती बबीता दुगड़ (18) श्रीमती रतनी देवी सामसुखा (19) सुश्री रिद्धि बैद (20) श्रीमती मीना देवी पटावरी

Sources
From: Sushil Bafana
Provided by: Sushil Bafana
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