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‘अपने’ को पाने से ही सभी को पाया जा सकता है
पालीताणा 11 अगस्त 2015
पालीताणा स्थित जिन हरि विहार संस्था में चातुर्मास के उपलक्ष में प्रवचन में खरतर गच्छ के गणाधीश उपाध्याय मणिप्रभसागर महाराज के शिष्य मुनि मयंकप्रभसागर महाराज ने बताया कि तुम उम्र के इस पड़ाव में अब बालक नहीं बन सकते, पर बाल की तरह सरल तो हो सकते हो। विवाद और बैर से बचकर संवाद द्वारा टूटी विश्वास की डोर को पुन: जोड़ सकते हो। विवाद प्रेम नहीं देता, केवल बैरी बनाता है। पास खड़े व्यक्ति को अपनेपन से दूर कर देता है। संवाद-प्रेम उलझे जीवन की हर उलझन को सुलझा देता है।
मुनि मेहुलप्रभसागर महाराज ने कहा कि लागों की दृष्टि में भगवान वही है जो सभी की पुकार सुन ले एवं परोपकारी हो, सहयोग देकर बाधाओ-परेशानियों से मुक्त कर दें। सहज है आप पर भी कोई विपत्ति आये और कोई आकर आपको सम्हाल ले, आपको विपत्ति से निकाल दे। आप भी उसे भगवान की कृपा मानकर उस व्यक्ति को विश्वास से देखते हो और उपकारी मान के सत्कार करते हो। इसी का नाम श्रेष्टता है जिसने एकाएक निस्वार्थ मन से आपकी बाधा को अपने ऊपर झेल लिया। आपका सुरक्षा कवच बनकर जीवन की श्वासों को अपनेपन और विश्वास से भर दिया।
मुनि कल्पज्ञसागर महाराज ने कहा कि आप उम्र, धन और पद को भूलकर सभी के होने का पुरूषार्थ करिये, सब कुछ लुटाकर सभी का अपनत्व पा लीजिए। आप धन्य हो जाओगे। स्वास्थ्यता और आनन्द से भर जाओगे। जीवन जीने का अर्थ पा जाओगे। यही वह क्षण है जिसमें अपने को पाया जा सकता है और सभी के बनके, सभी को अपना बनाया जा सकता है।
मनुकुमार भंसाली ने महावीर प्रभु का भजन गाकर सभी को मंत्र मुग्ध किया। पश्चात गुरु पूजन कर सभी गुरुजनों के प्रति कृतज्ञता भाव जताया।
प्रवचन के अंत में चैन्नई निवासी मनुकुमार भंसाली द्वारा संघ-पूजन कर सभी का सम्मान किया गया। संघवी विजयराज डोसी ने सभी श्रावक-श्राविका का आभार मानते हुये प्रतिदिन प्रवचन देने हेतु मुनि महाराज का आभार व्यक्त किया। दोपहर में स्वाध्याय कक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें जीव तत्व पर विवेचन मुनि कल्पज्ञसागर महाराज ने किया।
शाम को प्रतिक्रमण करने का लाभ सभी ने लिया।
प्रेषक भागिरथ शर्मा
मेनेजर, हरि विहार
पालीताणा