04.10.2015 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 05.10.2015
Updated: 05.01.2017

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❖ Jainism -the Philosophy ❖ मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ✿

आप समाज की मिथ्या कुरीतियों को आगम एवं तर्क से खण्डन कर सम्यक् रीतियों का प्रवर्तन करते हैं। एकांतवादी तथा कथित अध्यात्मवादियों को एवं गृहीत मिथ्या दृष्टियों को अनेकांत एवं सम्यक दर्शन का पाठ पढाया है। आप वास्तु विज्ञानी एवं पुरातत्व के महान संरक्षक है, अतः आपके आशीर्वाद से एवं प्रेरणा से अतिशय क्षेत्र देवगढ(उत्तर प्रदेश) अतिशय क्षेत्र सांगानेर (राजस्थान) बजरंगगढ (मध्यप्रदेश) भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा (राजस्थान) सिद्धक्षेत्र गिरनार (गुजरात) एवं सिद्धक्षेत्र शत्रुंजय (गुजरात), अतिशय क्षेत्र चान्दखेडी (राजस्थान), सीरोन जी (उत्तर प्रदेश) आदि सैकडो क्षेत्रो का जीर्णोद्धार हुआ है। अशोकनगर (मध्य प्रदेश) की त्रिकाल चौबीसी, ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र (राजस्थान) सुदर्शनोदय तीर्थ क्षेत्र आँवा (राजस्थान) श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर (राजस्थान) सुधासागर इंटर कॉलेज, ललितपुर (उत्तर प्रदेश) आ. ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र, ब्यावर (राजस्थान) अनेक गौशालाऐं आदि नवीन क्षेत्र आपकी सातिशय प्रेरणा से स्थापित होकर जैन संस्कृति का गौरव बढा रहे हैं।

राजस्थान में 15 साल से मुनि श्री द्वारा अद्भुत धर्म प्रभवना हो रही है। सैकडों साल के इतिहास में इतनी महती प्रभावना देखने को नहीं मिली। सन 1996 में जयपुर के वर्षायोग मे एक साथ 20-25 हजार लोग प्रति दिन प्रवचन सुन कर भाव विभोर हो जाते थे। श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर राजस्थान एवं महाकवि आचार्य ज्ञानसागर छात्रावास की स्थापना आपकी प्रेरणा से हुई, जिसमें प्रतिवर्ष 100 श्रमण संस्कृति समर्थक विद्वान तैयार हो कर भार वर्ष में जिनवानी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं अर्थात सांगानेर को तो विद्वान तैआर करने की खान बना दिया है।

मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने 12 जून, 1994 को तीन दिन के लिये भूगर्भ स्थित यक्ष रक्षित 69 मूर्तियों को चैत्यालय से निकाला तथा प्रबन्धकारणी कमेटी की प्रार्थना पर 20 जून से 24 जून 1998 तक को 101 मूर्तियाँ निकाली। मुनि श्री सुधासागर महाराज ने ही भूगर्भ स्थित यक्ष-रक्षित परम्परागत निकाले गये चैत्यालय के साथ इस बार अन्य दूसरी गुफ से एक और दूसरा अलौकिक विशाल रत्नमय चैत्यालय श्रावकों के अमृत सिद्धि दर्शन हेतु निकाल कर महा अतिशय प्रकट कर बहुजनों को धन्य किया। सांगानेर संघी मन्दिर में अपनी साधना एवं तपस्या के बल पर भूगर्भ से दो बार यक्ष रक्षित रत्नमयी चैत्यालय निकालकर सारे विश्व को चमत्कृत कर धन्य-धन्य कर दिया। यहाँ की रत्नमयी प्रतिमाओं के 10-25 लाख लोगों ने दर्शन कर पुण्यार्जन किया।

24 मार्च, 2002 को मुनिश्री ने चांदखेडी अतिसय क्षेत्र में पुनः अपनी प्रगाढ साधना से मन्दिर की गुफा से इतिहास में पहली बार स्फटिक मणि के विशाल चन्द्रप्रभु, अरिहंत एवं पार्श्वनाथ भगवान के जिनबिम्ब निकाले। जिनका 15 दिन तक दर्शन कर पन्द्रह लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य अर्जित किया।

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❖ Jainism -the Philosophy ❖ एक विशेष सुचना ✿ जय जिनेन्द्र धर्मानुरागी बंधुओ, जैसा कि आपको पता है www.jinvaani.org वेबसाइट पर संत महान आत्माओ के प्रवचन डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, जैसे आचार्य श्री विद्यासागर जी, आचार्य वर्धमानसागर जी, आचार्य श्री विशुद्धसागर जी, मुनि श्री नियमसागर जी, मुनि श्री सुधासागर जी, मुनि श्री क्षमासागर जी, मुनि श्री प्रमाणसागर जी, क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी, पूज्य गणेश प्रसाद वर्णी जी, पूज्य जिनेन्द्र वर्णी जी आदि विशिस्ट व्यक्तियो के प्रवचन का विभिन्न विषयो पर अकल्पनीय तथा विपुल भण्डार मौजूद है जो कि लगभग 300GB का है तथा ऊपर दिए गए सब महाराज लोगो का बहुत बहुत बड़ा प्रवचन का संग्रह है जो कि लिखा नि नहीं जा सकता इतना बड़ा है! तथा साथ में श्री रविन्द्र जैन आदि के अध्यात्मिक भजन संग्रह, पूजन, स्तोत्र, स्तुति, स्तवन, मंत्र आदि का भी बहुत बड़ा भण्डार इस वेबसाइट पर मौजूद है! आप सब इस वेबसाइट से डाउनलोड करे और ज्यादा से ज्यादा लोगो को बताए ताकि सब लोग इसका पूर्णरूप से फायेदा ले सके!

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❖ Jainism -the Philosophy ❖ Worth Reading --- चाय-समोसे बेचकर कमाए लाखों, कसक पूरी करने के लिए कर दिए दूसरों के नाम!! [ Picture: tea stall owner give one lakhs donation to school ] ❖

जगदलपुर. टीन के शेड के नीचे छोटी सी चाय की दुकान…और कुछ चाय-समोसे बेचते हैं। आड़ावाल के अरविंद साहा चलाते हैं ये दुकान। लेकिन इस छोटी सी दुकान से छोटी छोटी बचत करके उन्होंने एक बड़ी रकम डेढ़ लाख रुपए इकट्ठा किए और गरीब बच्चों के लिए सरकारी स्कूल को दान कर दिया।

सिर्फ इसलिए क्योंकि गरीबी के कारण वो खुद आठवीं के बाद नहीं पढ़ पाए थे। सालों की बचत को जब अरविंद ने प्रिंसिपल के हाथों में सौंपा, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि अपनी पूरी जमापूंजी एक व्यक्ति गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दे रहा है। आड़ावाल जगदलपुर से पांच किलोमीटर दूर है। यहीं एक गांव है ओरना कैंप।

सड़क के किनारे साहा की दुकान है। उसके कुछ कदम की दूरी पर आदिम जाति कल्याण विभाग का स्कूल है। अरविंद यहां सालों से चाय-नाश्ते की दुकान चला रहे हैं। अरविंद ने बताया कि रोज उनके सामने से कई ऐसे बच्चे निकलते थे, जिनके पास पढऩे के लिए न पूरी किताबें थी, न अच्छी ड्रेस। देखकर बुरा लगता था। मदद भी करना चाहते थे, पर संकोच होता था। घबराते थे कि अगर वह किसी बच्चे को मदद की पेशकश करेंगे, तो लोग क्या कहेंगे। एक दिन स्कूल ड्रेस वितरण का कार्यक्रम देखा। पूछताछ की, तो पता चला कि किसी ने बच्चों को पांच हजार रुपए के ड्रेस दान में दिए हैं। अरविंद ने भी स्कूल के शिक्षक से कहा कि वह भी बच्चों के लिए कुछ मदद करना चाहता है।

शिक्षकों को लगा कि चाय दुकान चलाने वाला बमुश्किल 5-10 हजार रुपए की मदद देगा। अगले दिन जब शिक्षक दुकान पहुंचे तो अरविंद ने उनके हाथ में 50 हजार रुपए के नोटों की गड्डी रख दी। एक कार्यक्रम में यह दान स्वीकार करने की बात तय हुई। दिन चुना गया 26 जनवरी का। दो दिन पहले अरविंद को स्कूल के झंडावंदन कार्यक्रम के दौरान बुलाया गया, तो वह और एक लाख रुपए लेकर पहुंच गए। पूरा पैसा बच्चों के लिए प्राचार्य एएन राव को सौंप दिया। अरविंद को जानने वाले लोगों के लिए यह फैसला हैरान करने वाला नहीं था। जगदलपुर जनपद उपाध्यक्ष सुब्रतो विश्वास ने बताया कि दुकान के सामने से गुजरने वाले कई स्कूली बच्चों को वह अक्सर मुफ्त में नाश्ता देते हैं। साहा ने बताया कि इस पैसे को जुटाने में उनको कई साल लगे। पर बच्चों के लिए कुछ करके उनको मिला संतोष, इस पैसे से कई गुना ज्यादा अहम है।

अपनी अधूरी इच्छा इनमें देखता हूं: ---अरविंद कहते हैं अपनी अधूरी इच्छाओं को इन बच्चों में देखता हूं, इसलिए लगता है कि इनकी इच्छाएं अधूरी न रह जाए। वे कहते हैं, क्रजब मैं छोटा था, तब हालात ऐसे बने कि पढ़ाई छोडऩी पड़ी। तो एक कसक रह गई। इन बच्चों की मदद से सुकून मिल रहा है।

एफडी के ब्याज से छात्रों को की जाएगी मदद: ---अरविंद साहा से मिले डेढ़ लाख रुपए स्कूल प्रबंधन ने बैंक में फिक्स डिपाजिट करवा दिए हैं। शाला के शिक्षक टीएसएस प्रकाश इस रकम पर मिलने वाले सालाना ब्याज से ऐसे जरूरतमंद छात्रों की मदद की जाएगी, जिनको किन्हीं वजहों से दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। इसी राशि से बच्चों के लिए गणवेश, कापी-किताबें और दूसरी जरूरतों का सामान लिया जाएगा। इससे पहले स्कूल के पूर्व प्राचार्य डीके जैन ने भी गरीब बच्चों के लिए स्कूल को 50 हजार रुपए दान में दिए थे।

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