03.02.2011 ►Rajaldesar ►Jain Terapanth News

Published: 03.02.2011
Updated: 21.07.2015

News in Hindi

बुधवार को अध्यात्म समवसरण

03 Feb, 2011

राजलदेसर। जागरूक व अप्रमत मनुष्य जिसमें वैर भाव तथा प्रतिशोध की भावना नहीं होती वह वीर होता है। जो सोया हुआ अथवा मूर्छा में रहता है वह वीर कहलाने योग्य नहीं है।आचार्य महाश्रमण ने बुधवार को अध्यात्म समवसरण में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है। ज्ञानी लोग सदा जागरूक तथा अज्ञानी सोए हुए रहते हैं। श्रीमद्भागवत गीता का प्रसंग श्रवण करवाते हुए आचार्य ने कहा कि जब सब प्राणी सोते हैं उस समय अध्यात्म के जागरण में संयमी जागता है। उन्होंने कहा कि साधक को मूर्छा-मोह से मुक्त रहना चाहिए। राग-द्वैष व इष्र्या की भावना नहीं रखनी चाहिए। साधु-साघ्वियों में अर्हन्ता, बौधिक कल्पना शक्ति का विकास होना चाहिए। इससे पहले तीन दिन से चल रहे आचार्य महाप्रज्ञ को नमन हमारा कार्यक्रम के अन्तर्गत 121 साधु-साघ्वियों ने स्वरचित कविताओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि मोहजीत कुमार ने किया । 

 Jain Terapanth News

Sources

Salil Lodha

Location: Rajaldesar
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