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❖ Jainism -the Philosophy ❖ एक कहानी है जो दादाजी हमे सुनाया करते थे... ❖
एक राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और उससे कहा कि ऐसे ४ लोगो को ले कर आओ
1. एक वो जिसके पास पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा।
२. एक वो जिसके पास पहले कुछ नहीं था, आज भी कुछ नहीं है और आगे भी कुछ नहीं रहेगा।
३. एक वो जिसके पास पहले कुछ नहीं था, आज भी कुछ नहीं है पर आगे कुछ अच्छा होगा।
४. एक वो जिसके पास पहले भी था, आज भी है पर कल नहीं रहेगा।
मंत्री ३ लोगो को ले कर आया और राजा के सामने उनको पेश किया -
१. एक धार्मिक सेठ
मंत्री ने समझाया कि इन सेठ ने पहले अछे कर्म किये तो आज ये सेठ है और आज भी ये धार्मिक कार्यो में दान पुण्य करते है इसलिए इनका अगला भाव भी अच्छा होगा।
२. एक वैश्या
इसने पहले अच्छे कर्म नहीं किये इसलिए आज इसकी स्थिति ऐसी है और इस जीवन के कर्मो कि वजह से इसका अगला भव भी अच्छा नहीं होगा
३. एक साधु
इन्होने पहले अच्छे कर्म नहीं किये तो आज इनके पास धन सम्पति नहीं है पर इस भव में इनकी तपस्या निश्चित ही इनका अगला भव सुधारेगी
राजा ने मंत्री से पूछा कि और चौथा इंसान?
मंत्री ने राजा से विनम्र पूर्वक कहा कि यदि मेरे उत्तर देने के बाद आप मुझे सजा नहीं देंगे तब ही मैं आपको बताऊंगा।
राजा ने मंत्री की बात स्वीकार की और उसे बात पूरी करने को कहा।
मंत्री ने कहा कि चौथे इंसान स्वम् आप है। आपने पहले अच्छे कर्म किये जिससे आपका ये भव अच्छा है। पर आपके युद्ध आदि के परिणामो से आपका अगला भव अच्छा नहीं होगा।
मंत्री कि बात को समझकर राजा ने तुरन्त राजपाठ त्याग कर दीक्षा ले ली और धर्मं के मार्ग पे चल दिया
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