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★ सुविचार ★
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🌍 आज की प्रेरणा 🌍प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - पंडित कौन?
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
पंडित शब्द काफी प्रसिद्ध है | जैन आगम एवं वाड्मय में भी इस बारे में बतलाया गया है | हेमचन्द्र के अभिधान चिंतामणि कोष में कहा गया है - विद्वान के पर्यायवाची नामों में पंडित शब्द सम्मिलित है| पंडा एक तत्वानुगामी बुद्धि का नाम है और यह बुद्धि जिसमें हो वह - पंडित | दुसरे - जिसके जीवन में प्रेम आ जाये, जो प्रेम युक्त जीवन जीता हो वह - पंडित होता है| विरति की अपेक्षा से भी आदमी पंडित होता है| जिसमें जरा भी संयम नहीं, वह अपंडित या बाल पंडित, जिसमें देश विरति गुणस्थान आ जाये वह पंडित | साधु यदि विद्वान न हो, वक्ता भी न हो फिर भी यदि उसमें विरति है तो वह पंडित होता है | किसी को पंडित बना देना, साधु बना देना भी पांडित्य ही होता है और ऐसा करने वाला कितना परोपकारी होता है| अज्ञानी व हठी व्यक्ति को समझा कर सत्पथ पर लाने की भी अपनी एक कला होती है| जो उत्पथगामी को सत्पथगामी बना दे वह बड़ा महान होता है| श्रावकों में भी यह भावना रहे कि मैं कब साधु बनूँगा व अपने परिग्रह को अल्प कर सकूंगा| शरीर के आभूषणों से आत्मा अलंकृत नहीं होती, अतः हम आत्मा को अनासक्ति के आभूषण से अलंकृत करें | श्रावक के मन में संथारे की भावना रहे| श्रावक के तीन मनोरथ होते हैं | वह अनासक्त बनकर जीए| मोह संसार का व अमोह मोक्ष का मार्ग | मोह के परिवार में आठ कर्म रुपी आठ सदस्य होते हैं | आज के प्रवचन का सार यह है कि हम पंडित बनकर तथा अनासक्त बनकर जीने का प्रयास करते रहें |
दिनांक-१० दिसम्बर २०१५, बृहस्पतिवार
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अररिया कोर्ट (बिहार):
शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से प्रवचनकालीन झलकियाँ।
10.12.2015
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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