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शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से विहार एवं प्रवचनकालीन कार्यक्रम की झलकियाँ।
11.12.2015
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🌎 आज की प्रेरणा 🌍प्रवचनकार - आचार्य श्रीमहाश्रमण
विषय - आत्मा और शरीर
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
हमारी दुनियां में 06 द्रव्य| इन द्रव्यों में सिर्फ एक पुदगलास्तिकाय मूर्त व बाकी पांच अमूर्त| इन पाँचों में एक है - जीवास्तिकाय | हमारी आत्मा अमूर्त है और शरीर मूर्त | शरीर और आत्मा दोनों का सम्मिश्रण है - जीवन | न कोरी आत्मा जीवन और न कोरा शरीर जीवन | दोनों मिलते है तो जीवन बनता है| शरीर के सारे भोग भौतिक है परन्तु आत्मा के उद्धार के लिए विरक्ति आवश्यक है| संसार में रहने वाले प्राणियों को अगर मोक्ष प्राप्त करणी है तो अनासक्ति की साधना करनी होगी | भोगों को तुम काले नाग के फण के सामान समझो व उनसे डरकर रहो| जैसे नाग का डंक दुःखदायी होता है वैसे भोग भी | राज्य को तुम रज के समान समझो| राज्य की आसक्ति भी आन्तरिक सुख दे यह जरूरी नहीं| परिवार व भाई बन्धु के प्रति मोह बंधन का कारण व स्त्री जाति के प्रति आसक्ति त्रिण के सामान होती है| ऐसा सोचने वाला विरक्त पुरुष मोक्ष श्री का वरण कर सकता है| हम कर्मों से लिप्त इस मलीन आत्मा को कर्मों से मुक्त बनाने का प्रयास करें | हम आत्मा व शरीर को अलग समझें, हालांकि आत्मा को आँखों से तो नहीं देखा जा सकता फिर भी उसी प्रकार शरीर से अलग है जैसे मिट्टी के साथ मिला हुआ सोना| आखिर मिट्टी मिट्टी है और सोना सोना| हमें इस सच्चाई को समझना व स्वीकार करना है|
दिनांक - ११ दिसम्बर २०१५, शुक्रवार
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