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🌎 आज की प्रेरणा 🌍प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
विषय - साधना में आगे बढ़ें
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से--
आर्हत वाड्मय में कहा गया है -
धीर पुरुष अग्र और मूल दोनों को समझे | आदमी अग्र को भी देखे और भीतर को भी देखे | समस्या के मूल को जाने और उसे निर्मूल करने का प्रयास करें| कर्म हमारे मूल हैं, अतः हम उन्हें काटने का प्रयास करें| संस्कृत साहित्य में कहा गया है - कर्मों को काटने से मुक्ति श्री की प्राप्ति हो सकेगी | उनको काटने के लिए त्रिसंग पूजा करो, जागरूकता पूर्वक चार काल का स्वाध्याय करो, संयम का संचय करो, यश कीर्ति की प्राप्ति करो हालांकि यश की कामना न रहे, साधु को दान दो, मन को नीति के पथ पर ले जाओ, कषाय के भावों को दलित करो,गुस्से से भी बचो व अनपेक्षित राग से भी बचो, प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव रखो, वीतराग प्रभु द्वारा निर्दिष्ट आगम वाणी को पढ़ो, सुनो और स्वाध्याय करो | ये सब मुक्ति श्री को वरण करने के सशक्त साधन है| साधु जीवन में कितनी ही कठिनाइयाँ आये उन्हें उन्हें कर्म निर्जरण समझकर प्रसन्नता से सहन करे| हम साधना की दिशा में आगे आयें| घृणा आदमी से नहीं गुस्से से करें| साधु को गुस्सा शोभित नहीं होता बल्कि शांति शोभित होती है|
दिनांक - १४ दिसम्बर २०१५ सोमवार🙏 जय जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 14 -12-2015
तिथि: -मिगसर सुदी तीज (03)
सोमवार का त्याग/पचखाण
1> आज पनीर खाने का त्याग करे।🙏
जय जिनेन्द्र
प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं सभी से निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग आवश्य करे। छोटे छोटे त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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