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प्रतापगंज: अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से प्रातःकाल के पावन दृश्य।
19.12.2015
प्रस्तुति > तेरापंथ मीडिया सेंटर
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🌎 आज की प्रेरणा 🌍प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
आर्हत वाड्मय के अनुसार - मोक्ष में जाने का एक चैनल है - ज्ञान की बातों को सुनना | सुनना बहुत महत्वपूर्ण होता है| एक प्रसिद्ध शब्द है - श्रावक| संस्कृत व्याकरण के अनुसार जो सुनता है वह श्रावक होता है। धर्म के संदर्भ में श्रावक वह होता है - जो आगम व सूत्रों की वाणी का श्रवण करने वाला होता है, जो गुरुवाणी, धर्म वाणी व धर्माचार्यों की वाणी को सुनता है | सुनने से पापों से बचाव भी हो सकता है | श्रवण से ज्ञान, ज्ञान से विज्ञान, तब आचरण, और ऐसा करते करते अयोग अवस्था की प्राप्ति भी संभव है| एक दूकान में चोर घुसे, उस के बगल वाली दूकान में कुछ संत विराज रहे थे | संतों ने उपदेश दिया और चोरों ने चोरी का त्याग कर दिया | ऐसे में चोरों की आत्मा को सुधारा वह धर्म है लेकिन सेठ के धन का बचाव एक प्रासंगिक घटना, क्योंकि उपदेश सेठ के धन बचाने के लिए नहीं दिया था| धर्म कथा दुर्लभ होती है| हम अहिंसा यात्रा में बतलाते हैं -जीवन में सद्भावना, नैतिकता व नशा मुक्ति आये| यदि जीवन में इन तीन चीजों का विकास हो गया तो समझना चाहिए, धर्म का प्रवेश हो गया | धन तो ज्यादा से ज्यादा इस जन्म में काम आयेगा, लेकिन धर्म हमारे अगले जन्मों तक भी साथ जायेगा| अतः जीवन में धर्म की कमाई काम्य है|
दिनांक - १९ दिसम्बर २०१५, शनिवार
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