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अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से विहार एवं प्रवचनकालीन झलकियाँ।
25.12.2015
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News in Hindi
🌍 आज की प्रेरणा 🌍प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
दिनांक - २० दिसम्बर, २०१५, राघोपुर
विषय - भले का भला, बुरे का बुरा
प्रस्तुति - अमृतवाणी
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --आर्हत वाड्मय में कहा गया है - किए हुए कर्मों को भोगे बिना छुटकारा नहीं मिलता | जैसी करणी वैसी भरणी| जो जैसा करता है, वह वैसा भोगता है| शुभ व अशुभ हर किये हुए कर्मों को भोगना पड़ता है| आस्तिक दर्शन में कर्मवाद का सिद्धांत चलता है | जैन दर्शन में इसका विषद विवेचन मिलता है | आठ कर्मों में - चार घाती कर्म होते है | ये घाती कर्म आत्मा की घात करने वाले व आत्मा के स्वरूप का नाश करने वाले होते हैं | बाकी चार कर्म भी अपना फल देते ही हैं | हम वर्तमान में मनुष्य हैं, इससे पहले भी कुछ थे और आगे भी कुछ होंगे | यह जन्म मरण का क्रम निरंतर चलता रहता है | हमारा शरीर जड़ है और आत्मा चेतन | शरीर का विनाश हो सकता है पर आत्मा सदा अविनाशी है, उसे न जलाया जा सकता है, न भिगोया या सुखाया जा सकता है| मेरी सिर्फ एक आत्मा ही शास्वत है बाकि सारे लक्षण संयोग-वियोग वाले| एक आत्मा ही ऐसी है जिससे सदा हमारे सम्बन्ध रहते हैं, बाकी सारे सम्बन्ध समाप्त हो जाते हैं, यहाँ तक की शरीर का सम्बन्ध भी विच्छिन्न हो जाता है | पापों से हमारी आत्मा मलीन हो जाती है| इसलिए हमें हिंसा आदि पापों से बचाव करने का प्रयास करना चाहिए|
दिनांक - २५ दिसम्बर २०१५, शुक्रवार