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परिपूर्ण बने शान्ति और शक्ति से -आचार्य श्री महाश्रमण
दिनांक:- 30.12.2015 चैघारा अंचल. अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में फरमाया कि दुनिया में जितने भी बुद्ध पुरूष हुए है, तीर्थकर हुए है, अतीत काल में और जितने भी अनागत भविष्य में तीर्थकर होगे उनका आधार शान्ति है जैसे प्राणियों का आधार पृथ्वी है।