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आचार्य देशना
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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सिंह से वन
वन से सिंह बचा
पूरक बनो
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भावार्थ: जिस प्रकार वन से शेर की और शेर से वन की रक्षा होती है,प्रत्येक जीव को एक दुसरे का पूरक बनने का प्रयास करना चाहिए । यह बात सर्वत्र लागू होती है ।प्रकृति यदि हमे शुद्ध हवा, पानी, फल, फूल देती है तो हमारा भी दायित्व है कि हम भी प्रकृति की रक्षा करें । माता, पिता यदि हमारा पालन पोषण कर हमे योग्य बनाते हैं तो हमारा भी कर्तव्य है वृद्धावस्था में उनकी सेवा करना । और जिससे भी हमे जो कुछ मिलता है मिला है उसको उसकी आवश्यकता अनुसार लौटाने से हम ऋणि नहीं रहेंगे, पूरक बनेंगे ।
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आचार्य श्री के सूत्र
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