22.01.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 22.01.2016
Updated: 05.01.2017

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आचार्य देशना
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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अमर मरे
नर क्यों नहीं तो पी,
धरमा मृत
अमर अर्थात स्वर्ग के देवों को क्षुधा की वेदना होते ही कंठ में अमृत झड़ जाता है । ऐसे देव जिन्हे इस प्रकार अमृत का रसास्वादन होने से एवं बहुत लम्बी आयु होने के कारण अमर भी कहा जाता है उनका भी मृत्यु का समय आने पर वह अमृत उनकी रक्षा नहीं कर सकता एवं देव पर्याय को छोड़ कर वे अन्यत्र कहीं जन्म लेते हैं । तो मनुष्य की मृत्यु तो अवश्यम्भावी है इसलिए उसे धर्म रुपी अमृत का पान करना चाहिए । धर्म के द्वारा ही मनुष्य मोक्ष के अविनाशी अमर सुख को प्राप्त कर सकता है एवं मृत्यु को जीत सकता है ।
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