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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: माघ कृष्ण त्रयोदशी, २५४२
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जितना चाहा
जो चाहा जब चाहा
क्या कभी मिला
भावार्थ: आशा रुपी गड्ढा इतना बड़ा है कि संसार की सारी संपत्ति भी उसमे समा जाये तो भी न भरे । हम जो भी इच्छाएं करते हैं, जितना प्राप्त करने की करते हैं और जब जब करते हैं उनका उतना ही तब तब पूरा होना असंभव है । चक्रवर्ती की महान विभूति भी अनंत सुख का कारण नहीं बन पाती । इसलिए हमे अपनी आशाओं, इच्छाओं पर संयम रखना चाहिए और संतोष रुपी सुख का जीवन में आनंद लेना चाहिए ।
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