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🚩🚩🚩आचार्य देशना🚩🚩🚩
🇮🇳"राष्ट्रहितचिंतक"जैन आचार्य 🇮🇳
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
तिथि: फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा, २५४२
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आवश्यक की ओर ध्यान रखते हैं
तो अनावश्यक से बच सकते हैं
भावार्थ: यह हाइकू तो नहीं किन्तु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का एक प्रवचनांश है । आचार्य श्री कहते हैं कि यदि हम आवश्यक की ओर अपना ध्यान रखें तो अनावश्यक से बच जायेंगे । यह बात सभी के लिए,किसी भी स्थान पर किसी भी समय प्रासंगिक है । श्रावक यदि अपने षट आवश्यक पर ध्यान रखे तो अनर्थदण्ड आदि से बच सकता है । श्रावक श्र - श्रद्धा,व - विवेक और ज्ञ - ज्ञान से मिलकर बना है । आज श्रावक में श्रद्धा, ज्ञान और विवेक कितना है यह विचारणीय है । हमारा कार्य प्रातः भगवान की पूजा भक्ति से प्रारम्भ होकर दिनभर के क्रिया कलापों में बीतता है । इस दिनभर में हम यदि अपने व्रतों के प्रति सावधान रहते हैं तो व्यर्थ की बातों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाएगा और हम उनसे बच जाएंगे । यह निर्णय हमे स्वयं करना होगा कि क्या विषय हमारे लिए आवश्यक है ।
मंदिर में जाकर अभिषेक पूजन करना अथवा सुबह पलंग पर बैठकर चाय पीते हुए अखबार पढ़ना
जीव रक्षा के लिए कुँए से जल खींच कर विधिवत जीवाणि (बिलछन) करना अथवा जिम में, सड़क पर अथवा बाग़ में दौड़ लगाना
माता पिता के साथ तीर्थ वंदना करना अथवा व्यर्थ दोस्तों के साथ घूमना फिरना
घर में गेहूं धोने सुखाने में आटा पीसने में माँ की मदद करना अथवा टेलीविज़न पर व्यर्थ समय बर्बाद करना
स्वाध्याय सामयिक करना अथवा थिएटर में मूवी देखना ।
आज व्यक्ति अपने इन व्रतों की ओर ध्यान न देकर पंथवाद पर ज़्यादा बात करता दीखता है । धन्य हैं हमारे गुरुवर जो आवश्यक पर ध्यान देते हैं और आवश्यक विषयों पर ही बोलते हैं ।
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"राष्ट्र हित चिंतक"आचार्य श्री के सूत्र
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