Update
Source: © Facebook
Source: © Facebook
☀ आर्त-रौद्र ध्यान से धर्म-ध्यान में स्थापित करने के लिए सिर्फ़ यह एक वाक्य पर्याप्त है:-
☀" परेशान मत होइये, वसूली चालू है "
☀ निमित्त कोई भी हो वह तो एक screen मात्र है, DVD तो अपने अंदर है।
☀ यहाँ अंदर जैसी DVD चलती है वहाँ screen पर वैसी फ़िल्म दिखाई देती है।
अगर फ़िल्म पसंद नहीं है तो वह DVD निकालकर दूसरी लगा लीजिए।
...इसी प्रकार...
☀" धर्म की शरण में आकर धर्म-ध्यान वाली DVD लगाकर देखों फिर क्या सुन्दर भविष्य है।"
☀ संघर्ष आएँगे, लेकिन धर्म कभी दुःखी को सुखी नहीं करेगा, क्यों?
☀क्योंकि धर्म एक ऐसा न्यायाधीश है जो अन्याय नहीं करता।
☀ जिसने पाप कमाया है उसे दुःखी तो होना ही पड़ेगा, धर्म उसको उस दण्ड से मुक्त नहीं कर सकता लेकिन दण्ड भोगते समय यदि वह सुधरना चाहे तो धर्म दण्ड सहन करने की शक्ति अवश्य देगा।
☀" एक सच्चे धर्मात्मा की मुठ्ठी में संकट में मुस्कराने की कला होती है।"
☀" धर्मात्मा ही संकट में मुस्कुराने की ताक़त रखता है।"
💫उपदेशक: जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी
Source: © Facebook
Alive Replica of Jainism -the Philosophy:))
Source: © Facebook
Exclusive:))
News in Hindi
Source: © Facebook
जयकारों के बीच हुआ आदिनाथ भगवान का मस्तकाभिषेक
दादाबाड़ी स्थित नसियांजी जैन मंदिर में सोमवार को मनाया गया अक्षय तृतीया पर्व
दादाबाड़ीस्थित नसियांजी जैन मंदिर में सोमवार को अक्षय तृतीया पर्व मनाया गया। सुबह विशाल भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का भक्तों ने मस्तकाभिषेक किया।
मस्तकाभिषेक के लिए लंबी कतारें लगी रही। भक्तों ने बारी-बारी से लंबे इंतजार के बाद भगवान की प्रतिमा का अभिषेक किया। जिसके बाद नित्य नियम की पूजा, विधान प्रवचन हुए। शाम को आरती और धार्मिक कार्यक्रम हुए।
आचार्य वर्धमान सागर महाराज ने अक्षय तृतीया के बारे में विस्तार से बताया। प्रवचनों में उन्होंने बताया कि भगवान आदिनाथ जिस समय मुनि थे, उन्हें 6 माह तक आहार नहीं मिला था। 6 माह बाद राजा श्रेयांस ने उन्हें पहली बार गन्ने का रस दिया था। भगवान आदिनाथ को आहार नहीं मिलने का एक कारण यह भी रहा कि उस समय यह कोई नहीं जानता था कि मुनिवरों को आहार कैसे दिया जाता है। राजा श्रेयांस को उस वक्त हुए पूर्व जन्म की याद आई, जिस वजह से उनको मुनिराज को आहार देने कि विधि के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने विधि पूर्वक गन्ने के रस का आहार दिया। मुनि हितेन्द्र सागर महाराज ने अपने प्रवचन में गंधोदक (वो जल जो भगवान का अभिषेक करने के उपरांत भगवान को स्पर्श करते हुए आता है) लगाने के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि गंधोदक को श्रद्धाभाव और ध्यान पूर्वक लगाना चाहिए।
त्रिलोकसार ग्रंथ का हुआ विमोचन
: इस मौके पर त्रिलोकसार ग्रन्थ विमोचन किया गया। डीएसपी भगवत सिंह हिंगड़ का सम्मान भी किया गया। आचार्य श्री के दर्शन करने के लिए सोमवार को आरके मार्बल के मालिक अशोक पाटनी अपनी पत्नी के साथ पहुंचे।
दादाबाड़ी जैन नसियां जी मंदिर में सोमवार को भगवान आदिनाथ का मस्तकाभिषेक करते समाजबंधु।