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#kundalpur #vidyasagar 🚩🌟आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज का 12 मई 1974 का छायाचित्र जब गुरुदेव केकड़ी, जिला अजमेर (राजस्थान) में विराजमान थे एवम् कुल 3 पीछी का संघ था 🌟🚩
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धर्मं धारण करने की चीज़ है उदहारण की नहीं, जिन्होंने धर्मं को धारण किया आज वे स्वयं उदाहण बन गए हैं. - मुनि श्री १०८ प्रमाणसागरजी महाराज
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आओ दर्शन करते है अत्यंत प्राचीन विश्व की एकमात्र प्रतिमा जिसमे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान साक्षात् शंख पर विराजमान है....यह प्रतिमा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में विराजमान है ।.....आप सभी इस को शेयर करे ताकि सम्पूर्ण विश्व इतनी प्राचीन प्रतिमा के दर्शन लाभ ले सके ।
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❖ Atisay chetra paporaha ji tikamgarh, m.p temple 25 no. Parasnath bhagwaan:) Pic by Shubham Jain -big thanks him!!
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❖ चिन्मय सागर जी के ह्रदय उदगार विद्यासागर जी के बारे में
मैं भगवान के बारे में बोल सकता हूं,
मगर मेरे गुरू के बारे में नहीं बोल सकता
मेरे गुरू भगवान से बङकर हैं
मेरे गुरू, गुरू हैं
मेरे गुरू, लघू नहीं
मेरे गुरू, लघू नहीं
मेरे गुरू, गुरू हैं
मेरे गुरू, मेरू नहीं
मेरू तो और भी हो सकते हैं
मेरे गुरू सुमेरू हैं
मेरे गुरू, गुरू हैं
एक ही था, एक ही है, एक ही रहेगा
मेरे गुरू सरिता नहीं,
मेरे गुरू सरोवर नहीं
मेरे गुरू सागर नहीं,
मेरे गुरू विद्यासागर हैं, चैतन्य महासागर हैं
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acharya shri shravanbolgola ki or..:)) "जय जिनेन्द्र.."
श्रवणबेलगोला की और बढ़ते कदम।
श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज अपने विशाल चतुर्विध संघ के साथ सन् 2018 में श्रवणबेलगोला में सम्पन्न होने वाले श्री श्री 1008 गोम्मटेश्वर भगवान् बाहुबली के महामस्तकाभिषेक में सान्निध्य प्रदान करने हेतु राजस्थान प्रांत के टोंक जिले के (उनियारा नगर) से दिनांक 11 अप्रैल को शाम 4 बजे मंगल विहार करके परम पूज्य तृतीय पट्टाचार्य 108 श्री धर्म सागर जी महाराज की जन्म भूमि गम्भीरा एवं कर्म भूमि नैनवां में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सम्पन्न कराते हुए आगे की ओर विहार करेंगे।
आचार्य श्री प्रथम ऐसे आचार्य है जिनके सान्निध्य में तीसरी बार मस्तकाभिषेक का आयोजन होगा। 1993 के महामस्तकाभिषेक में प्रथम बार अपना सान्निध्य प्रदान किया और फिर 2006 का महामस्तकाभिषेक भी आचार्य श्री के सानिध्य में सम्पन्न हुवा। ये तीसरी बार होगा जब 2018 का मस्तकाभिषेक आचार्य श्री के सान्निध्य में होगा।
बाहुबली भगवान की जय।
आचार्य श्री वर्धमानसागर महाराज की जय |
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दया के भण्डार आचार्य भगवन्त सुनील सागर जी गुरुराज घायल तोते पर करुणा वात्सल्य पूर्वक अपने कमण्डल के अतिशय जल छिड़क कर उपचार करते हुए