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#Girnar #Neminath ✿ 11 जुलाई 2016 को आचार्य निर्मल सागरजी महारज के सानिध्य में 5 वि टोंक आलोक टोंक पर भगवान नेमिनाथ का निर्वाण मोदक चढ़ाया जायगा । गुरुवर आचार्य निर्मल सागर जी को कोटि कोटि नमन ।
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कुंडालपुर की पहचान बड़े बाबा मेरे, ये तो जैन धर्म की शान बड़े बाबा मेरे । छोटे बाबा आन विराजे बड़े बाबा चरण, आओ चले करने प्रभु पूजन-वंदन ।।:) #vidyasagar #kundalpur
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❖ अनुभूत रास्ता... मुनि कुन्थुसागर [ आचार्य विद्यासागर जी की जीवन से जुडी घटनाएं व् कहानिया ] ❖ @ www.facebook.com/VidyasagarGmuniraaj
विहार करता हुआ पूरा संघ अकलतरा की ओर बढ़ रहा था. वहाँ जाने के लिए दो रास्ते थे एक पक्की सड़क से होकर और एक कच्चे रस्ते होकर जाता था. कच्चा रास्ता दूरी में कम पड़ता था. वहाँ पर अनेक लोगों ने अपने-अपने ढंग से बताया. कुछ महाराज पहले हि बताये गए रास्ते से आगे निकल गये. एक वृद्ध दादाजी ने आकर बताया कि - "बाबाजी! आप लोग तो सीधे इसी रास्ते से निकल जाइये, आप जल्दी पहुँच जायेंगे और रास्ता भी ठीक है. मैं इस रास्ते से अनेकों बाए आया-गया हूँ". तब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के साथ हम सभी महाराज उसी रास्ते पर चल दिये. आगे चलाकर देखा - रास्ता एकदम साफ़ सुथरा था एवं दूरी भी कम थी. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा - "देखो, उस वृध्द का बताया हुआ रास्ता एकदम सही है क्योंकि यह "अनुभूत रास्ता" है. इसी प्रकार मोक्षमार्ग में हर किसी के बताये रास्ते पर नहीं चलना चाहिए बल्कि, जो अनुभूत कर चुके है ऐसे ही वीतरागी गुरु के बताये रास्ते पर ही चलना चाहिए. तभी हम सुरक्षित और जल्द मोक्षमार्ग प्राप्त कर सकते हैं और जल्दी मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं.
दुनियाँ में
न जाने कितने रिश्ते हैं,
और
न जाने कितने रास्ते हैं,
इसलिए यह प्राणी
सही रास्ता और सही रिश्ता
क्या है, इसे भूल गया है,
भगवान और भक्त का
गुरु और शिष्य का
रिश्ता ही दुनियाँ में सही
रिश्ता है एवं
भगवान और गुरु
जिस रास्ते पर है वही
सही रास्ता है - अनुभूत रास्ता
note* अनुभूत रास्ता' यह किताब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के परम शिष्य मुनिश्री कुन्थुसागर जी महाराज जी की रचना है, इसमें मुनिश्री कुन्थुसागर जी महाराज जी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के अमूल्य विचार और शीक्षा को शब्दित किया है. इस ग्रुप में इसी किताब से रचनाए डालने का प्रयास है ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रावक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी के विचारों और शीक्षा का आनंद व लाभ ले सके -Samprada Jain -Loads thanks to her for typing and sharing these precious teachings.
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✿ अरंग (रायपुर, छत्तीसगढ़) से 5 किलोमीटर दूर नुल्लाह गांव से भगवान आदिनाथ की लगभग 5-6 वीं सदी की प्राचीन प्रतिमा खुदाई के दौरान प्राप्त! प्रतिमा को महंत घासीदास म्यूजियम, रायपुर लाया गया.. विश्व जैन संगठन
please read full details at following link:-
http://thehitavada.com/Encyc/2016/5/19/Ancient-idol-of-Tirthankar-Adinath-found-at-Arang.aspx
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ज्ञान तीर्थ (मुरैना, म. प्र.) में विराजमान होने वाली भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का त्रिलोकसंत पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में ज्ञान तीर्थ में हुआ भव्य मंगल प्रवेश.....संजय जैन
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❖ अब तो...
अंतर में रम जाने को दिल करता है, अपने अन्दर के राम को पाने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, जिनवाणी के मर्म को समझ जाने का दिल करता है |
अब तो.....
विषय कषाय से उबकर, रत्न-त्रय की और जाने को दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, जिन के पद-चिन्हों पर चलने का दिल करता है |
अब तो....
भोग-विलास और काम-वासना से उपर उठकर, ब्रम्हचर्य की चलने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, इन्द्रिय सुख की नहीं, आत्मसुख की प्राप्ति हो, दिल करता है |
अब तो....
जीव मात्र को पवित्र जिन धर्मं की सदा ही शरण मिले, ऐसी भावना भाने को दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, स्वयं जिन हो जाने और अहिंसा परमो धर्मं को फैलाने का दिल करता है |
अब तो....
सम्यक्दर्शन से ह्रदय को पवित्र कर,उसमे भगवान् को बसाने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, मुनीश के लघुनंदन जैसा बन जाने को दिल करता है |
अब तो....
मेरा त्रि-गुप्ती, पांच-समिति और दस धर्मं को जीवंत रूप में जीने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, भगवान् मैं भी दिगंबर बनू, ऐसी भावना जीवंत करने का दिल करता है |
अब तो...
जिन धर्मं के सिद्धांतो को practically करके, जीवन उनके जैसा बनाने का दिल करता है |
ज्यादा क्या कहे, वीतराग मुद्रा देखने पर अब मेरा भी मोक्ष जाने को दिल करता है | वैरागी हो वीतरागी बन जाने को दिल करता है....
SOURCE - The expression of my internal feelings toward Dharma [Inspired from a Childhood memory poem] --- Nipun Jain
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UPDATE #Kundalpur #VidyaSagar
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✿ कुण्डलपुर महा महोत्सव की तैयारिया चरम पर । दमोह भी सजेगा, भक्तो के सम्मान में #kundalpur #vidyasagar
जैन समाज के महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं।आगामी 4 से 9 जून तक आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के मंगल सानिध्य में होने जा रहे महामस्तकाभिषेक के लिए महोत्सव समिति दिन रात तैयारियों में जुटी हुई है। देश भर से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए भीषण गर्मी के कारण समिति के द्वारा 200 एसी टेंट अस्थायी तौर पर तैयार किए गए हैं, जबकि कुंडलपुर के अलावा दमोह हटा एवं पटेरा की धर्मशालाएं, लॉज एवं स्कूलों आदि में भी रूकने के प्रबंध किए जा रहे हैं।
कुंडलपुर में 5 से 6 बड़े-बडे़ पंडाल निर्मित किए गए हैं, जिनमें 40 से 50 हजार व्यक्ति एक साथ रूक सकते हैं। श्रद्धालुओं के भोजन हेतु एक विशाल भोजनशाला निर्मित की जा रही है। जिसमें 10 हजार से भी अधिक लोगों को भोजन एक साथ कराया जा सकेगा। यहां पर एक अस्थायी तौर पर अति आधुनिक बाजार भी बसाया जा रहा है। जिसमें बाहर से अनेक व्यापारी अपनी दुकाने लगाएंगें। इसी बाजार में एक प्रदर्शनी डॉ. केएम गंगवाल पूना के निर्देशन में लगाई जा रही है।
कलशों को राशि के आधार पर हीरक कलश, रत्न कलश, अम्त कलश, स्वर्ण कलश, दिव्य कलश, रजत कलश आदि बनाए गए जिनसे बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक होगा। अनेक श्रद्धालु गण अपने कलशों की बुकिंग करा चुके हैं । देश भर के भक्तगण बड़े बाबा के महामस्तकाभिषेक को छोटे बाबा आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के मंगल सानिध्य में करने के लिए अति उत्साहित नजर आ रहे हैं।
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