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जय पार्श्वनाथ:))
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तोता आचार्य श्री के दर्शन करने के लिया आया फ़ोटो देखे...:))
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"झाँक रहे है इधर उधर सब।
अपने अंदर झांकें कौन?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां ।
अपने मन में ताके कौन?
सबके भीतर दर्द छुपा है ।
उसको अब ललकारे कौन?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।
खुद को आज सुधारे कौन?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
खुद पर आज विचारे कौन?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात उतारे कौन?"
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mein hi nahi sara rashtra jain hai - Indira Gandhi.
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today exclusive:)) *18 जून*को जहाँ राजस्थान से लगभग 2000 यात्री विशेष ट्रेन🚂🚃 द्वारा कुण्डलपुर पहुंच रहें है वहीं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित जी शाह और मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज जी चौहान कुण्डलपुर पहुंचेंगे ।
कुंडलपुर में चल रहे बड़े बाबा के महामस्तकाभिषेक में शामिल होने एवम् पूज्य छोटेबाबा आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के दर्शन करने के लिए
18 जून अपरान्ह 11.50 बजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एंव मप्र के मुख़्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का भोपाल से विशेष हेलीकॉप्टर 🚁से आगमन हो रहा है दोनों अतिथि लगभग 5 घंटे कुंडलपुर में रहेंगे।
जहां बड़े बाबा के दर्शन के साथ-साथ छोटे बाबा के चरणों में आशीर्वाद ग्रहण करेंगे। पत्रिका न्यूज़ राहुल जैन बांदकपुर
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आज ऋषभगिरी माँगी-तुँगी में सप्तम पट्टाचार्य श्री अनेकांतसागरजी महाराज ने अपने प्रवचन में तीर्थंकर भगवान के साथ साथ गणधर का महत्व बताते हुए कहा के तीर्थंकर भगवान की जो दिव्य ध्वनि खिरती हैं उसका गणधर प्रचार एवं प्रसार करते हैं। उस दिव्य ध्वनि को लिपिबद्ध करते हैं। हमारे महान आचार्य ने अरिहंत भगवान के वचनो को ताड़पत्रो पर लिख कर सुरक्षित किया है। जिस प्रकार गणधर तीर्थंकर भगवान के प्रमुख शिष्य होते हैं ठीक उसी तरह गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के साथ गणधर की भूमिका में पूज्य चंदनामती माताजी हैं। ज्ञान की गंगा बड़ी माताजी है तो गणधर के रूप में छोटी माताजी है।
हम ऐसे महान संतो के चरणो में शत शत नमन करते हैं।
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ओ पालनहारी निर्गुण ओ न्यारे,
तुमरे बिन हमरा कोनू नाही...
हमरी उलझन सुलझाओ भगवन.
तुमरे बिन हमरा कोनू नाही..
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卐 जय पारस 卐
भाग्य खुल जाते है बाबा
आकर तेरे दरबार में।
हो जाते है दुःख दूर सभी
आपके दर्शन करके ।।
मिले मन को आन्नद
आकर आपके चरणों में।
किस्मत वाला है वो
जिन्हे दर्शन आपके मिले ।।
है विनती बाबा आपसे
रखना हमेशा चरणो में आपके ।।
करू कार्य धर्म और पूण्य के।
विचार आये न मन में कभी पाप के।।
नादान,अज्ञानी हूँ बाबा
लेकिन हूँ आपका ही दास।।
हो अगर गलती तो माफ कर देना
पापियो का प्रभु करना विनाश।।
आपके अलावा नही है
बाबा मेरा कोई और सहारा ।।
आया हु आपके चरणो में
रखना हमेशा ध्यान बाबा हमारा।।
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अतिशय क्षेत्र सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा का महामस्तकाभिषेक करने देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 11वें दिन भी महामस्तकाभिषेक करने वालों की कतार लगी रही।
बुंदेलखंड के विभिन्न अंचलों से आकर भक्तगण बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक करने के बाबा छोटे बाबा आचार्यश्री विद्यासागर के दर्शन कर आर्शीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
संलेखना मोक्ष का द्वार नाटिका की प्रस्तुति
अखिल भारतीय दिगंबर महिला परिषद मुनिसुव्रत नाथ शाखा जैन बड़ा मांडी हनुमानताल जबलपुर द्वारा संलेखना मोक्ष का द्वार नाटिका का मंचन किया गया। बताया गया कि संलेखना आत्महत्या नहीं आत्म साधना है। इस नाटिका की संयोजका मिश्री जैन निर्देशिका रानू जैन लेखिका रूबी जैन मुख्य पात्रों में समाधि लेने वाले की भूमिका में दर्शना जैन रही।
आचार्यश्री की जन्म भूमि से भी आए श्रावक
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज की जन्म स्थली सदलगा कर्नाटक से भी श्रावकों का आने का क्रम जारी है। आचार्यश्री के गृहस्थ जीवन के बड़े भाई महावीर प्रसाद अस्टगे का परिवार बालसखा मारूति तो आए ही हैं साथ ही सदलगा स्वाध्याय मंडल से 8 महिलाएं एक पुरुष भी मस्तकाभिषेक महामहोत्सव में 15 दिन से कुंडलपुर में रूके हैं। यहां चौका लगाकर आचार्यश्री को आहार कराने की भावना रखते हैं। अभी तक आचार्य भगवन का पडगाहन नहीं हो पाया है। संघस्थ मुनिगण के आहार चौके में रोज हो रहे हैं।
एक रिपोर्ट अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
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महाराणा प्रताप को घास की रोटी अपने बच्चों के लिए सेंकनी पड़ी...और उसे भी एक जंगली बिलाव झपट्टा मारकर ले भागा, उसके बाद पूरा परिवार भूखा सो गया... महाराणा की आँखों में आँसू आ गए....पर उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की..!!.
अब आप सभी बताइए... क्या जंगल में महाराणा प्रताप को चार खरगोश नहीं मिल रहे थे पकाने को?? या उनका भाला एक भैंसा
नहीं मार सकता था..??. यह कथा भी सिद्ध करती है....महापुरुष,महायोद्धा भी मांसाहारी नहीं थे.।।".
कंद-मूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे।।
पोरस जैसे शूर-वीर को
नमन 'सिकंदर' करते थे॥
चौदह वर्षों तक खूंखारी
वन में जिसका धाम था।।
मन-मन्दिर में बसने वाला
शाकाहारी राम था।।
चाहते तो खा सकते थे वो
मांस पशु के ढेरो में।।
लेकिन उनको प्यार मिला
' शबरी' के जूठे बेरो में॥
चक्र सुदर्शन धारी थे
गोवर्धन पर भारी थे॥
मुरली से वश करने वाले
'गिरधर' शाकाहारी थे॥
पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम
चोटी पर फहराया था।।
निर्धन की कुटिया में जाकर
जिसने मान बढाया था॥
सपने जिसने देखे थे
मानवता के विस्तार के।।
नानक जैसे महा-संत थे
वाचक शाकाहार के॥
उठो जरा तुम पढ़ कर देखो
गौरवमय इतिहास को।।
दया की आँखे खोल देख लो
पशु के करुण क्रंदन को।।
इंसानों का जिस्म बना है
शाकाहारी भोजन को॥
अंग लाश के खा जाए
क्या फ़िर भी वो इंसान है?
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है
या कोई कब्रिस्तान है?
आँखे कितना रोती हैं जब
उंगली अपनी जलती है।।
सोचो उस तड़पन की हद जब
जिस्म पे आरी चलती है॥
बेबसता तुम पशु की देखो
बचने के आसार नही।।
जीते जी तन काटा जाए,
उस पीडा का पार नही॥
खाने से पहले बिरयानी,
चीख जीव की सुन लेते।।
करुणा के वश होकर तुम भी
गिरी गिरनार को चुन लेते॥
शाकाहारी बनो...!
।।.शाकाहार-अभियान.।।