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#vidyasagar #chaturmas ❖ खुश खबर -कल 12 जुलाई को दोपहर 11.30 बजे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के भोपाल में संभावित चातुर्मास की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इस अवसर पर वित्तमंत्री जयंत मलैया, श्रीमति सुधा मलैया भी उपस्थित रहेंगे। - रवीन्द्र जैन पत्रकार
Info shared by Mr. Sanyam Jain, Bhopal -loads thanks him! picture clicked by mr. rahul jain, kekri.. loads thank him too:)
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❖ गिरनार जी की 4th टोंक पर ध्यान में डूबे हुए आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज!! #Girnar #neminath #rare picture:)
Sri Krishna & his master Ghora Angirasa/Neminatha Svami, The king Nebuchadnazzar has built temple to pay homage to Lord Neminatha [ Rishi ], the paramount deity of Mount Raivata/Girnar. Eye-opener text...
Neminatha Svami, the 22nd Tirthankara, There is a mention in the Chhandogya Upanishada III, that the sage 'Ghora Angirasa. imparted a certain instructions of the spiritual sacrifice to Krishna, the son of Devaki. The liberal payment of this scarify was austerity, liberality, simplicity, non-violence and truthfulness. These teachings of Ghora Angirasa seem to be the tenets of Jainism. Hence, Ghora Angirasa seems to be the Jain saint. The writers of the Jain scriptures say that Tirthankara Neminatha was the master of Krishna, the Ghora Angirasa. It may be possible to suggest that Neminatha was his early name and when he had obtained salvation after hard austerities, he might have been given the name of Ghora Angirasa.
In the Yajurveda, Neminatha seems to be clearly mentioned as one of the important Rishis. He is described as one who is capable of crossing over the ocean of life and death, as the remover of violence, one who is instrumental is sparing life from injury and so on. The Yajurveda probably beolongs to the twelfth century B. C. This indicates that Neminatha seems to be known at this time and flourished even before.
The king Nebuchadnazzar (940 B. C.) who was also the lord of Revanagara (in Kathiawara) and who belonged to Sumer tribe, has come to the lace (Dwarka) of the Yaduraja. He has built a temple and paid homage and made the grant perpetual in favour of Lord Neminatha, the paramount deity of Mt. Raivata. This inscription is of great historical importance. The king named Nebuchadnazzar was living in the 10th century B. C. It indicates that even in the tenth century B.C. there was the worship of the temple of Neminatha the 22nd. Tirthankara of the Jains. It goes to prove the historicity of Neminatha.
Source: Book 'Faith & Philosophy of Jainism, Copyright © Arun Kumar Jain, New Delhi, India'
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आज आचार्य श्री ने विदिशा की ओर विहार किया हैं परंतु..
भले ही गुरुवर ने विदिशा की और बिहार कर लिया हे परन्तु प्यास नहीं भुझाना हे आस बनाये रखना हे भक्ति में कमी नहीं करना हे क्योकि विदिशा से भोपाल मात्र 55 km हे तथा भोपाल से नेमावर लगभग 115 km हे अभी भी भोपाल के श्रावको के भाग्य खुल सकते हे । नेमावर का पुण्य उदय भी हो सकता हे यह अलग बात हे की शीतल धाम बाले बाबा गुरुवर को आगे न बड़ने देबे। वेसे विदिशा से एक रास्ता अशोक नगर की और भी जाता हे? गुरुवर की माया भगवन ही जाने ।गुरुवर की जय हो 🙏
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#Girnar #Neminath ❖ Sri Krishna & his master Ghora Angirasa/Neminatha Svami, The king Nebuchadnazzar has built temple to pay homage to Lord Neminatha [ Rishi ], the paramount deity of Mount Raivata/Girnar. Eye-opener text..
Neminatha Svami, the 22nd Tirthankara, There is a mention in the Chhandogya Upanishada III, that the sage 'Ghora Angirasa. imparted a certain instructions of the spiritual sacrifice to Krishna, the son of Devaki. The liberal payment of this scarify was austerity, liberality, simplicity, non-violence and truthfulness. These teachings of Ghora Angirasa seem to be the tenets of Jainism. Hence, Ghora Angirasa seems to be the Jain saint. The writers of the Jain scriptures say that Tirthankara Neminatha was the master of Krishna, the Ghora Angirasa. It may be possible to suggest that Neminatha was his early name and when he had obtained salvation after hard austerities, he might have been given the name of Ghora Angirasa.
In the Yajurveda, Neminatha seems to be clearly mentioned as one of the important Rishis. He is described as one who is capable of crossing over the ocean of life and death, as the remover of violence, one who is instrumental is sparing life from injury and so on. The Yajurveda probably beolongs to the twelfth century B. C. This indicates that Neminatha seems to be known at this time and flourished even before.
The king Nebuchadnazzar (940 B. C.) who was also the lord of Revanagara (in Kathiawara) and who belonged to Sumer tribe, has come to the lace (Dwarka) of the Yaduraja. He has built a temple and paid homage and made the grant perpetual in favour of Lord Neminatha, the paramount deity of Mt. Raivata. This inscription is of great historical importance. The king named Nebuchadnazzar was living in the 10th century B. C. It indicates that even in the tenth century B.C. there was the worship of the temple of Neminatha the 22nd. Tirthankara of the Jains. It goes to prove the historicity of Neminatha.
Source: Book 'Faith & Philosophy of Jainism, Copyright © Arun Kumar Jain, New Delhi, India'
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❖ आज भगवन नेमिनाथ जी का मोक्ष कल्याणक हैं भगवन ने मोक्ष गिरनार पर्वत से प्राप्त किया था.. आज वही पर्वत की टोंक पर कब्ज़ा किया हुआ हैं आओ जाने इसे.. #Girnar #Neminath
गिरनार पर्वत से सम्बंधित इतिहास - नेमिनाथ भगवान् ने जहा से दीक्षा, केवलज्ञान और निर्वाण प्राप्त किया, श्री कृष्ण के पुत्र प्रधुम्नकुमार, अनिरुद्धकुमार, शम्भुकुमार आदि 72 करोड़ 700 मुनिराजो ने मोक्ष प्राप्त किया तथा जहा आचार्य धरसेन स्वामी ने मुनि पुष्पदंत तथा मुनि भुतबली महाराज को जिनवाणी का दुर्लभ/बहुमूल्य ज्ञान चन्द्र गुफा में दिया, जिसके कारण दोनों मुनिराजो ने षटखंडागम की रचना करी! जहा राजुल ने तपस्या करी, जहा भद्रबाहु स्वामी, समंतभद्र स्वामी, कुंद कुंद देव आदि महान आचार्यो ने वंदना की और ग्रंथो में इस पर्वत की महिमा गाये बिना नहीं रह सके!! सोचो कितना महान है ये गिरनार!!! जब समन्तभद्र स्वामी इस गिरनार पर आये तो इसकी महिमा गाये बिना रह ना सके, जब आचार्य कुन्द कुन्द स्वामी इस पर्वत आये तो खूब ध्यान लगाए और देवी अम्बिका को बुला आदि दिगंबर कहलवाए, इसी पर्वत पर आचार्य धरसेन स्वामी ने पुष्पदंत महाराज और भूतबली महाराज को बचा हुआ दुर्लभ जिनवाणी का ज्ञान दिया जिसके बाद षतखंडागम ग्रन्थ की रचना की जो की 2,000 वर्ष से भी प्राचीन तथा वर्तमान मूल ग्रन्थ है!! जय हो गिरनारी नेमिनाथ भगवान् की जय हो...!!
जूनागढ़ - यहाँ शहर में धरसेन आचार्य जी की गुफा है, इस स्थान पर आचार्य धरसेन जी ने गहन तपस्या की थी, राजुलमती प्राचीन महल भी है, इस महल में एक विशेष शिलालेख भी है जिसमे भगवान् नेमिनाथ, सम्राट अशोक, चन्द्रगुप्त मोर्य तथा जैन संस्कृति के बारे में काफी कुछ लिखा हुआ है, यहाँ शहर में एक प्राचीन संग्रालय भी है जिसमे यहाँ से सम्बंधित सभी प्राचीन चीज़े यहाँ रखी गयी है! जैन धर्मं का णमोकार मंत्र लिखा 'कीर्ति स्तम्भ' भी यहाँ मार्किट में है तथा यहाँ का Gir Forest National Park को पुरे विश्व में एशियाई शेरो के लिए प्रसिद्द है
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Breaking News* विदिशा वालो के भाग्य जागे* विहार विदिशा की ओर:))
आचार्य श्री का मंगल विहार राहत गढ़ से 3 बजकर 43 मिनिट* पर हुआ, विहार दिशा* ~विदिशा की ओर, रात्रि विश्राम*~ मीड खेड़ी या एरन में संभाबित
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आज की आहरचर्या डैनी और आकाश जैन(इंदौर) कोयले वालों के यहाँ हुए। pic and info sharee by sanyam jain, bhopal -loads thank him:)
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आज नेमिनाथ भगवान क मोक्ष दिवस है, बहुत ही कम लोगो को पता होगा कि आचार्य श्री ने गिरनार जी की भी यात्रा की है,उसी की फोटो है!! 4th टोंक पर आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज दर्शन करते हुए दुर्लभ फोटो pic shared by shashank jain from jabalpur:) -loads thank him!!!
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News in Hindi
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आज नेमिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक हैं गिरनार जी से मोक्ष प्राप्त किया था इस टोंक से:) यह वही गिरनार है....
1. यह वही गिरनार है जहाँ 22 वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ ने तप किया, केवलज्ञान प्राप्त किया और पाँचवीं टोंक से निर्वाण पद(मोक्ष) प्राप्त किया।
2. यह वही गिरनार है जिसकी पाँचवी टोंक पर तीर्थंकर श्री नेमिनाथ के चरण चिन्ह एवं शिला में भगवान् श्री नेमिनाथ की पद्मासन मूर्ति अंकित है और आज भी विद्यमान है।
3. यह वही गिरनार है जहाँ राजुल ने आर्यिका व्रत लेकर घोर तप किया।
4. यह वही गिरनार है जहाँ सर्वज्ञ(अरहन्त) श्री नेमिनाथ तीर्थंकर के समवशरण में श्रीकृष्ण और बलभद्र ने जिनवाणी का श्रवण किया।
5. यह वही गिरनार है जहाँ आचार्य श्री धरसेन स्वामी ने पुष्पदन्त और भूतबली आचार्य को षट्खण्डागम का उपदेश दिया।
6. यह वही गिरनार है जिसके कारण जूनागढ रियासत का पाकिस्तान में विलय नहीं हो सका। सरदार वल्लभभाई पटेल का स्पष्ट कहना था कि - "जूनागढ रियासत पाकिस्तान में मिल गई तो जैनो केे पवित्र तीर्थं गिरनार का क्या होगा...?"
7. यह वही गिरनार है जहाँ से श्री अनिरूद्धकुमार(द्वितीय टोंक), श्री शंभुकुमार(तृतीय टोंक) और श्री पद्युम्नकुमार(चौथी टोंक) जैसे यदुवंशियों ने जैनधर्मानुसार तप करके निर्वाण प्राप्त किया।
8. यह वही गिरनार है जहाँ(गिरनार) पर्वत की प्रथम टोंक के समीप पहली धर्मशाला सन् 1855 ई. में बनी और जहाँ से आज भी मुनि एवं श्रावक तीर्थवंदना(दूसरी, तीसरी, चौथी, पाँचवी टोंक) हेतु जाते है।
9. यह वही गिरनार है जहाँ तीर्थंकर नेमिनाथ के काल से जैनधर्मानुयायी भक्त निरंतर तीर्थंकर श्री नेमिनाथ के निर्वाण के प्रतीक चरण वंदना(तीर्थवंदना) हेतु जाते रहे है, जा रहे है, और भविष्य में भी जाते रहेंगे।
|| जय बोलो गिरनारी नेमिनाथ भगवान की जय ||
नेमी प्रभु के मोक्ष कल्याणक की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये।
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Exclusive today click UPDATE आज सुबह विहार करके आचार्य श्री राहतगढ़ पहुँचे तथा यहाँ प्रवचन हुए.. अभी 30 minute पहले की पिक्चर.. pic shared by mayank jain, indore -loads thnks him!
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🌟 "गिरनार जी" सिद्धक्षेत्र तीर्थंकर नेमिनाथ स्वामी की दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक भूमि है। अाज आषाढ़ शुक्ल सप्तमी, नेमिनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के उत्सव पर हज़ारो श्रद्धालु भक्तों द्वारा गिरनार पर्वत की वंदना, पूजा भक्ति की जाती है।
➡️ इस अवसर पर पूज्य क्षुल्लक श्री ध्यानसागर महाराज द्वारा प्रदत्त एक मंगल मंत्र हम आप तक प्रेषित कर रहे हैं। 🙏
➡️ आइये हम सभी इस मंगल दिवस पर प्रभु नेमिनाथ भगवान के मोक्ष की मंगल बेला का स्मरण कर, ध्यानमग्न होकर इस मन्त्र के माध्यम से उनके प्रति एवं जिन शासन के प्रति अपना भक्ति का अर्घ्य समर्पित करें।
☀️जाप्य मन्त्र ~
ॐ ह्रीं गिरनारक्षेत्रे दीक्षा-केवलज्ञान-निर्वाण-प्राप्ताय श्रीनेमिजिनेन्द्राय नमः जिनशासन-प्रभावना भवतु स्वाहा॥
➡️ इस मंत्र की एक माला आषाढ़ शक्ल सप्तमी ११ जुलाई, २०१६ सोमवार को कर सकते हैं।
➡️ गिरनार यात्रा पर गए हुए श्रद्धालुओं तक भी यह मंत्र पहुँचा सकते हैं।
➡️ मंत्र जाप को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचा कर जिन धर्म की प्रभावना में अपना योगदान दें। 🙏
जैनं जयतु शासनम्।