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UPDATE ✿ अच्छे कार्यों में विघ्न आते हैं,लेकिन धैर्य से काम लें: आचार्य विद्यासागर #vidyasagar @ #Bhopal Latest Pravachan...:)
आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि अच्छे और बड़े कामों में विघ्न तो आते हैं,लेकिन जो व्यक्ति धैर्य से काम लेता है वह विघ्नों को पार कर सफलता को प्राप्त करता है। आचार्यश्री शुक्रवार को हबीबगंज जैन मंदिर में प्रवचन दे रहे थे। आचार्यश्री के चातुर्मास कलश की स्थापना 24 जुलाई को होगी, लेकिन देश-विदेश से उनके भक्तों का आना अभी से शुरू हो गया है। भोपाल और हबीबगंज तीर्थ की तरह दिखाई देने लगे हैं।
आचार्यश्री ने शुक्रवार को संक्षिप्त प्रवचन में कहा कि कमल दो तरह के होते हैं एक दिन में खिलता और दूसरा रात में। कई बार दिन में बदली आ जाने से सूरज की रोशनी छुप जाती है। इसी प्रकार जीवन में जब राहू की दशा आती है और कष्ट आने लगते हैं तब बुद्धि काम करना बंद कर देती है। यह स्थिति सदैव नहीं रहती। जैसे बदली छटती है और सूरज निकलता है वैसे ही राहू का प्रभाव भी समाप्त होता है। आचार्यश्री ने कहा कि अशुभ कर्म के उदय से जीवन में कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चारों और निराशा दिखाई देती है। यह समय परीक्षा और धैर्य का समय है।
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UPDATE #vidyasagar @ #Bhopal ✿ अगर आप आचार्य श्री के दर्शन के लिए आ रहे हैं तो इसको पढले आपके लिए मदद करेगा अच्छे से दर्शन होने में!!
हबीबगंज रेलवे स्टेशन से आधा किलो मीटर जिनालय परिसर मे गुरुदेव ससंघ विराजित है। प्रात से ही अत्यंत व्यस्त मार्ग एक ओर से बन्द कर दिया जाता है। ताकि संघ एवम् श्रावकगण आसानी से मन्दिर प्रवेश कर सके। इतनी विशाल भीड़ के बीच से गुरुदेव मंच तक ले जाने DSP एवम् पुलिस की टुकड़ी लगी हुई. सभी से आग्रह जब भी दर्शन हेतु भोपाल पधारे तब यह मान कर चले गुरुदेव के दर्शन भीड़ की वजह से थोड़े दूर से मिल सकते हैं । क्योकि इस बार भोपाल मे आचार्यश्री के आने जाने मे कार्यकर्ताओ के स्थान पर पुलिस अधिकारियो ने सुरक्षा व्यवस्था सम्हाल रखी है। मुख्यमंत्री के आदेश पर सैकड़ो पुलिस व्यवस्था मे लगी हुई है विशाल भोजन शाला मे स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध है। चूँकि अभी प्रतिदिन प्रवचन हो रहे है सो रविवार छोड़ कर भी आने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है।
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✿ श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ जिनालय,तेंदूखेड़ा,जिला-नरसिंहपुर,(म.प्र.) ✿..महात्मा बुद्ध के अधिकांश पूर्वज भी पार्श्वनाथ धर्म के अनुयायी थे। #Tirthankar #Jainism
भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के तेइसवें (23वें) तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म आज से लगभग 3 हजार वर्ष पूर्व वाराणसी में हुआ था। वाराणासी में अश्वसेन नाम के इक्ष्वाकुवंशीय राजा थे| उनकी रानी वामा ने पौष कृष्ण एकादशी के दिन महातेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसके शरीर पर सर्पचिह्म था। वामा देवी ने गर्भकाल में एक बार स्वप्न में एक सर्प देखा था, इसलिए पुत्र का नाम 'पार्श्व' रखा गया। उनका प्रारंभिक जीवन राजकुमार के रूप में व्यतीत हुआ। एक दिन पार्श्व ने अपने महल से देखा कि पुरवासी पूजा की सामग्री लिये एक ओर जा रहे हैं। वहाँ जाकर उन्होंने देखा कि एक तपस्वी जहाँ पंचाग्नि जला रहा है, और अग्नि में एक सर्प का जोड़ा मर रहा है, तब पार्श्व ने कहा— 'दयाहीन' धर्म किसी काम का नहीं'।
अंत में अपना निर्वाणकाल समीप जानकर श्री सम्मेद शिखरजी (पारसनाथ की पहाड़ी जो हजारीबाग मैं है) पर चले गए जहाँ श्रावण शुक्ला अष्टमी को योग द्वारा उन्होंने शरीर छोड़ा। भगवान पार्श्वनाथ की लोकव्यापकता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि आज भी सभी तीर्थंकरों की मूर्तियों और चिह्नों में पार्श्वनाथ का चिह्न सबसे ज्यादा है। आज भी पार्श्वनाथ की कई चमत्कारिक मूर्तियाँ देश भर में विराजित है। जिनकी गाथा आज भी पुराने लोग सुनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि महात्मा बुद्ध के अधिकांश पूर्वज भी पार्श्वनाथ धर्म के अनुयायी थे।.
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बहुत ज़रूरी सूचना.. अगर आप August के शुरू में सम्मेद शिखर जी जाने वाले हैं!! MUST READ AND SHARE PLS..
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गुरु के बिना श्रावकों का ज्ञान अधूरा - मुनि समयसागरजी (आचार्य श्री के सगे भाई तथा संघ में सबसे पहले दीक्षित मुनि) #samaysagar #vidyasagar
मुनि समयसागरजी महाराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कहा कि गुरु और शिष्य की बात किस को अच्छी नहीं लगती है, गुरु के बिना श्रावकों का ज्ञान अधूरा रहता है। संयम के माध्यम से जिन्होंने केवल ज्ञान को प्राप्त किया है उसे उस ज्ञान का महत्व प्राप्त नहीं होता है। ज्ञान पूज्य नहीं बल्कि पूजनीय होता है। हम सभी ध्यान की सिद्धी के लिए गौतम स्वामी को याद करते है। वर्तमान में कई ध्यान केन्द्र खुले किन्तु इन केन्द्रो से भी आत्मा कल्याण नहीं होता है वह तो केवल शरीर के आराम देने के लिए ही है। वीतरागता के साथ किया गया ध्यान आत्म कल्याणकारी होता है। मुनि ने कहा कि केवल ज्ञान के माध्यम से ही भगवान महावीर समवशरण में विराजमान है। प्रवक्ता ने बताया कि चातुर्मास मंगल कलश स्थापना बुधवार को आचार्य विद्यासागर संयम भवन में दोपहर एक बजे ब्रह्मचारी प्रदीप भैया के सानिध्य में होगी। आचार्य विद्यागसार से प्रथम दीक्षित मुनि समयसागर का ससंघ चातुर्मास राजस्थान के वागड़ में पहली बार हो रहा है। मंगलवार को मुनि संघ के सानिध्य में वीर शासन जयंती मनाई जाएगी। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष ने बताया कि चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
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✿ हम लोग रामायण की बात करते है लेकिन बात रावणायण की होनी चाहिए -आचार्य विद्यासागर जी #vidyasagar @ #bhopal
रावण तो राम से भी दस कदम आगे का काम करने वाले है! राम हलधर थे, वो रावण का जीव तीर्थंकर होगा, और सीता का जीव गणधर होगा! जितना महा-संग्राम दोनों ने मिलकर किया था, उससे कही अधिक शांति धरती पर करके मोक्ष चले जायेंगे, लक्षमण का जीव भी तीर्थंकर बनेगा, रावण की broadcasting करने सीता का जीव गणधर बनकर बैठेगा, अब सोचिये! भव भव का बैर कहा चला गया, व्यक्ति अतीत की और तथा आने वाले कल की और नहीं देखता..बस उसके मन में वर्तमान की प्रयाए रह जाती है, कितना सुन्दर द्रश्य होना जब रावण तीर्थंकर होना, सीता गणधर और रामायण का द्रश्य अतीत हो जायेगा... इस प्रकार की घटनाएं भुतकाल में अनंत हो गयी है और भविष्य काल में भी होगी!
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कल शाम की आचार्य भक्ति पिक्चर #vidyasagar @ #bhopal
✿ भीगने का शौक है तो मेरे गुरु के दरबार पे आ जाओ
क्योंकि
बादल तो कभी कभी बरसते हैं
पर
मेरे गुरु की कृपा दिन रात बरसती है।
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