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कृतिदेव यहां ‘तनाव मुक्त कैसे रहें’ कार्यषाला सम्पन्न
माॅडल टाउन, नई दिल्ली, 28 अगस्त, 2016।
प्रेक्षाप्राध्यापक ‘षासनश्री’ मुनिश्री किषनलालजी, मुनिश्री विजयकुमारजी के सान्निध्य में माॅडल टाउन स्थित ज्ञ 5/7 में ‘तनाव मुक्त कैसे रहें’ कार्यषाला का आयोजन हुआ। कार्यषाला को संबोधित करते हुए मुनिश्री किषनलालजी ने कहा कि व्यक्ति के मन मस्तिष्क में घर-परिवार की समस्या ज्यादा रहती है और वह फिर आदत बन जाती है। आवष्यकता है कि उस आदत को हम बदलें। प्रयोग के द्वारा आदत को बदला जा सकता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि व्यक्ति के चेहरे से पता चल जाता है कि वह तनाव में है, इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि व्यक्ति अपने चेहरे को प्रसन्न रखे। परिवार में परस्पर संवाद नहीं होता है तो भी समस्या पैदा हो सकती है। आवष्यक है, परस्पर संवाद का होना। श्वास दीर्घ होना चाहिए जिससे आवेष नियंत्रण में रहे। दूसरी बात है कि सकारात्मक सोच रखें, नषामुक्त रहें तो व्यक्ति तनाव मुक्त हो सकता है। इस पद्धति के द्वारा व्यक्ति अपनी जीवन शैली को बदलकर आनन्दपूर्वक जीवन जी सकता है। इस दौरान मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाये।
मुनिश्री विजयकुमारजी ने कहा कि तनाव अनेक समस्याओं की जननी है। तनाव का एक कारण है व्यक्ति के जीवन में भाग-दौड़ का ज्यादा होना। इसी का परिणाम है कि वह न सही ढंग से खाना खा सकता है और न पर्याप्त नींद ले सकता है। कार्य करते हुए दिमाग कहीं और रहता है इसी वजह से कई दुर्घटनाएं घटित हो जाती है। व्यक्ति के जीवन में प्रवृति के साथ निवृति आवष्यक है। हम कर्म करते हुए अकर्म का जीवन जीना सीख जाएं और ज्यादा से ज्यादा निर्विचार रहें तो तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। इस दौरान मुनिश्री ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की।
मुनिश्री निकुंजकुमार ने कहा पर्युषण के समय में श्रावक-श्राविकाओं को प्रतिक्रमण करना बहुत जरूरी है। हल्का होने के लिए प्रतिक्रमण जरूरी बताते हुए उन्होंने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा दिल्ली के अध्यक्ष श्री गोविन्द बाफना, महामंत्री श्री सुखराज सेठिया, श्री शांति जैन, तेरापंथ प्रोफेषनल फोरम के अध्यक्ष श्री सुरेष भंसाली आदि अनेक व्यक्तियों की उपस्थिति थी। कार्यक्रम का प्रारंभ दिल्ली उत्तर मध्य सभा अध्यक्ष श्री विनोद भंसाली, मंत्री श्री दीपक जैन के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम का संचालन श्री विजय चैपड़ा ने किया।
- अषोक सियोल