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Durg Chaturmas
30 August 2016
Acharya Jinamaniprabh Suri Pravachan
दुर्ग! पर्यषण पर्व को दोषरहित जीवन बनाने का साधना काल बताते हुए आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने श्रावकों को इस साधना काल में संपूर्ण रूप से अहिंसामय जीवन जीने की पे्ररणा देते हुए नित्यप्रति सामायिक, प्रतिक्रमण करने और अपनी आत्मा के पूर्णत: शुद्ध बनाने के लिए पुरूषार्थरत रहने को कहा। ऋषभ नगर, दुर्ग में आज पर्यूषण पर्व पर विशेष प्रवचन में आचार्यश्री ने चारों दादा गुरूदेव जिनदत्तसूरिजी, दादाजिनचन्द्रसूरिजी, दादाजिनकुशलसूरिजी और दादा जिनचन्द्रसूरिजी के द्वारा द्वेष रहित धर्मव्यवस्था के साथ जिनधर्म के विस्तार में दिए गए योगदान के संक्षिप्त इतिहास का परिचय श्रोताओं को दिया। उन्होंने श्रावकों को जीवन को दोषरहित बनाने की पे्ररणा देते हुए दोषपूर्ण लम्बे जीवन की तुलना में दोष रहित छोटे जीवन को वन्दनीय एवं श्रेष्ठ बताया।