09.09.2016 ►Muni Tarun Sagar ►News

Published: 09.09.2016
Updated: 09.09.2016

News in Hindi

आज परम पूज्य वात्सल्य वारिधि राष्ट्र गौरव आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज का जन्मदिवस महोत्सव है आचार्य श्री शांतिसागर जी की मूल परंपरा के पंचम पट्टा चर्य आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज है

जिनमें जिन शासन का वात्सल्य
साधर्म्यों के प्रति महा स्नेह

गंभीरता इतनी की सागर ही सिहरउठे

वात्सल्य की छलकती गागर ऐसी की क्या मजाल कोई आत्मा का अनुभव किए बिना उठ जाए

मानव जाति जिनके प्रताप तेज की पूर्णता प्राप्त नहीं कर सके

बूंद बूंद अमृत घुली आवाज

सरल विनम्र और विश्वास भरे ब्यौहार के मालिक

बस इस योगी का इतना ही परिचय पर्याप्त है

एक महान आचार्य ही नहींअपितु एक सशक्त दृढ़ संकल्पी शास्ता और प्रशासक भी हैं जिन्होंने जिन शासन की वास्तविकता का वस्तुनिष्ट मूल्यांकन किया और अपने चारित्र में अक्षरता आच रित किया उन्होंने किसी नए पंथ संप्रदाय का प्रारंभ नहीं किया अपितु इन्होंने मात्र तर्कसंग्रह सिद्धांत व सत्य आचरण पर नैतिक जोर दिया तथा किरया पालन में अद्भुत कठोरता दिखाई और इसी कारन आपकी एक नई पहचान बनी पूज्य आचार्यश्री ने सिर्फ पूर्व आचार्यों का ही अनुकरण किया|

आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ संचालन में दक्ष दार्शनिक विचारधारा निष्णात है| आपके आचार्य पद पर आते ही समाज संघ व राष्ट्र में नई चेतना आई समाज में आया अधार्मिक विकृतियों को आपने अयोग और अकल्याणकारी घोषित किया और गगनभेदी स्वर में कहा कि इन विकृतियों के लिए तत्कालीन तद्भावी भावुक उत्तरदाई है| आपने बिना किसी पूर्वाग्रह और संकोच के अभय पूर्वक शुद्धीकरण को अत्यंत आवश्यक बताया इस गौरवशाली परंपरा को आगमानुसार निभाते हुये एक धर्माचार्य के रूप में आपने संपूर्ण भारत वर्ष के तीर्थों की पदयात्रा करके धर्म का जो अलख जगाया है वह अविस्मरणीय है| आपने अपने वरद हस्त से भब्य आत्माओं को कल्याणकारी जेनेश्चरी दीक्षाये दी जी तथा आज इस विशाल संघ के माध्यम से संपूर्ण भारत में तीर्थंकर वाणी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं||
बहु आयामी है आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का व्यक्तित्व और बड़ा ही विशाल है उनका संघ |वास्तव में पूज्य आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज के कारण ही आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के तेजस्वी और प्रतिभावान व्यक्तित्व का निर्माण हुआ उनकी कृपा से ही उनमें यह चमत्कार पूर्ण शक्ति उत्पन्न हो सकी कि वह शास्त्र लेकर उचित कार्य के लिए उचित अवसर पर उसका उपयोग करने का विवेक और उनका संचालन करने की अद्भुत क्षमता आचार्य जी को प्राप्त है|
देव शास्त्र गुरु के प्रति समर्पित भक्ति और संतों के प्रति निरभिमान विनय आपके विशिष्ट गुण बनकर उभरे हैं उनके जीवन का जो उज्जवल पक्ष रहा है वह है आचार्यश्री की सरलता सरलता और समन्वयवादी उदार दृष्टि आपका दृष्टिसयम, वाणी संयम, पद प्रतिष्ठा का संयम इतना गजब का है कि हर कोई आपके समक्ष होने का साहस ही नहीं कर पाता ऐसे परम पूज्य आचार्य महाराज के पावन चरणों में उनके 66 वें वर्ष वर्धन पर कोटेश: नमोस्तु, नमोस्तु,नमोस्तु

Source: © Facebook

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