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एक विनम्र अनुरोध.....
🙏 जय जिनैन्द्र🙏
दशलक्षण जी के बाद कुछ भाई चौविहार बंद करके छुट्टा खाना शुरू करे या कंदमूल खाए या कुछ भाई आसपास घूमते हुए, पाव भाजी, भेल, चाट, पानी पुरी स्टालों पर दिखाई दे तो कोई समस्या नहीं है।
लेकिन कृपया स्टाल या खोमचों पर, जोर जोर से यह ना बोले की " लो यार दस दिन से नही खाया, आज तो मस्त आलू - प्याज के भेल बना, अब तो सब चलता है "
ऐसे शब्दों के कारण स्टाल विक्रेताओं को व आसपास के अन्य लोगो को, ऐसा लगेगा मानो दस दिन की हमें सख्त सजा मिली हुई थी। जैनेतर समाज मे, हमारे धर्म के बाबत यह धारणा न बने की, हम धर्म सिर्फ नाम के खातिर मानते है।
आओ मित्रों सही मायनों मे, हम हमारे पवित्र धर्म का सच्चे अंतकरण से सम्मान करे। हमारे आसपास के लोगो व अन्य समाज के सामने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करे जिससे अन्य सभी के दृष्टि मे भी इसका सम्मान बढे।
एक विनम्र अनुरोध.....
🙏 जय जिनैन्द्र🙏
दशलक्षण जी के बाद कुछ भाई चौविहार बंद करके छुट्टा खाना शुरू करे या कंदमूल खाए या कुछ भाई आसपास घूमते हुए, पाव भाजी, भेल, चाट, पानी पुरी स्टालों पर दिखाई दे तो कोई समस्या नहीं है।
लेकिन कृपया स्टाल या खोमचों पर, जोर जोर से यह ना बोले की " लो यार दस दिन से नही खाया, आज तो मस्त आलू - प्याज के भेल बना, अब तो सब चलता है "
ऐसे शब्दों के कारण स्टाल विक्रेताओं को व आसपास के अन्य लोगो को, ऐसा लगेगा मानो दस दिन की हमें सख्त सजा मिली हुई थी। जैनेतर समाज मे, हमारे धर्म के बाबत यह धारणा न बने की, हम धर्म सिर्फ नाम के खातिर मानते है।
आओ मित्रों सही मायनों मे, हम हमारे पवित्र धर्म का सच्चे अंतकरण से सम्मान करे। हमारे आसपास के लोगो व अन्य समाज के सामने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करे जिससे अन्य सभी के दृष्टि मे भी इसका सम्मान बढे।