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परम पूज्य संस्कार प्रणेता मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज का मंगल विहार 23 सितंबर 2016 को सेक्टर 5 रोहिणी के लिए होगा जहां महाराज श्री 27 सितंबर तक विराजमान रहेंगे
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संस्कार प्रणेता मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज का 22वा दीक्षा दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से सेक्टर 11 रोहणी दिल्ली में मनाया गया
कार्यक्रम मे प्रातः काल से ही भक्तों का रेला आना शुरु हो गया था कार्यक्रम में श्रीमती रेनू जैन, श्रीमती बबीता,श्रीमति आशा जैन पानीपत के भजनों के साथ साथ महिला मंडल रोहनी एवं परतापुर के बालकों द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए
मुनि श्री के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य श्री रमेश चंद रोहणी वालों को मिला मुनि श्री की शास्त्र भेट करने का सौभाग्य श्री अशोक जैन ca को मिला
मुख्य आरती का सोभाग्य नरेंद्र जैन नितिन जैन को मिला
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज ने कहा की व्यक्ति की योग्यता महत्वपूर्ण नहीं है व्यक्ति की उपयोगिता ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि योग्यता तो हर व्यक्ति में होती है परंतु कारगर वही है की जो योग्यता को पहचान कर उसकी उपयोगिता हो सके, हर बीज वृक्ष बन सकता है परंतु बोलने वाला चाहिए हर शब्द के अंदर शास्त्र बनने की क्षमता है पर लिखने वाला चाहिए हर इंसान में भगवान बनने की शक्ति है पर त्याग करने वाला चाहिए
मुनि श्री ने कहा कि योग्यता कील के समान है लेकिन उपयोगिता स्क्रू के समान है हमें दूसरों के दुख में सहभागी बनना चाहिए एवं अपने सुख में दूसरों को सहभागी बनाना चाहिए
मुनि श्री ने दीक्षा दिवस पर कहा कि संयासी को जो दिखता है उसमें जीने की अपेक्षा नहीं होती बल्कि जो होता है उसमें जीने का मन करता है संसारी जीव स्वान के समान होता है जबकि सन्यासी सिंह के समान, सन्यासी पदार्थ की ओर नहीं परमार्थ की ओर भागते हैं।
मुनि श्री ने अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहा कि मैंने कभी इस जन्म में कोई ऐसा पुण्य नहीं किया था कोई ऐसा विचार मेरे अंदर नहीं था कि मात्र 12 वर्ष की उम्र में संयासी बन जाऊं यह तो पिछले जन्म का मेरा कोई व्रत या पुण्य था और गुरु महाराज ने मेरे अंदर कुछ देख लिया जो उन्होंने मुझे साधना की राह पर चलाया मात्र 12 वर्ष की आयु में संसार छोड़ने के बाद 12 वर्ष साधना में ब्रह्मचारी अवस्था छुल्लक अवस्था ऐलक अवस्था मे बिताए एवम ज्ञानार्चन किया । उसके बाद 12 वर्ष मुनि अवस्था में समाज के साथ बिताने के बाद संसार के लिए कुछ करने का भाव जागृत हुआ जिसके अंतर्गत विकलांग लोगों के लिए जीवन आशा हॉस्पिटल का निर्माण कराया जा रहा है। समाज के गरीब छात्रों के लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है
महाराज जी ने समाज से आह्वान किया कि वह अपनी क्षमता के हिसाब से धार्मिक कार्यों के साथ-साथ समाज के लिए भी काम करें ताकि उसकी योग्यता की उपयोगिता सिद्ध हो सके।
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