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पू. क्षमाकल्याणजी म. का द्विशताब्दी महोत्सव
खरतरगच्छ परम्परा में पूज्य उपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी म.सा. का नाम अत्यन्त आदर व श्रद्धा के साथ लिया जाता है। वर्तमान में खरतरगच्छीय साधु साध्वीजी भगवंत जो वासचूर्ण का उपयोग करते हैं, उसे संपूर्ण विधि विधान के साथ उन्होंने ही अभिमंत्रित किया था। तब से दीक्षा, बडी दीक्षा आदि प्रत्येक विधि विधान में पूज्यश्री का नाम लेकर वासक्षेप डाली जाती है।
उनका स्वर्गवास बीकानेर में वि.सं. 1873 पौष वदि 14 को हुआ था। इस वर्ष स्वर्गवास के पौष वदि 14 बुधवार ता. 28 दिसम्बर 2016 को दो सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस तिथि को पूज्यश्री का द्विशताब्दी महोत्सव मनाना है। संपूर्ण खरतरगच्छ संघों में इस दिन गुणानुवाद सभा, स्नात्र महोत्सव, भक्ति महोत्सव आदि विविध कार्यक्रम आयोजित होने चाहिये।
- गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरि
200 Years date
खरतरगच्छ परम्परा में पूज्य उपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी म.सा. का नाम अत्यन्त आदर व श्रद्धा के साथ लिया जाता है। उनका स्वर्गवास बीकानेर में वि.सं. 1873 पौष वदि 14 को हुआ था। ता. 28 दिसम्बर 2016 को दो सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस तिथि को पूज्यश्री का द्विशताब्दी महोत्सव मनाना है। संपूर्ण खरतरगच्छ संघों में इस दिन गुणानुवाद सभा, स्नात्र महोत्सव, भक्ति महोत्सव आदि विविध कार्यक्रम आयोजित होने चाहिये।