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(((सुखों की परछाई))) #MuniSudhasagar
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एक रानी अपने गले का हीरों का हार निकाल कर खूंटी पर टांगने वाली ही थी कि एक बाज आया और झपटा मारकर हार ले उड़ा.
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चमकते हीरे देखकर बाज ने सोचा कि खाने की कोई चीज हो. वह एक पेड़ पर जा बैठा और खाने की कोशिश करने लगा.
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हीरे तो कठोर होते हैं. उसने चोंच मारा तो दर्द से कराह उठा. उसे समझ में आ गया कि यह उसके काम की चीज नहीं. वह हार को उसी पेड़ पर लटकता छोड़ उड़ गया.
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रानी को वह हार प्राणों सा प्यारा था. उसने राजा से कह दिया कि हार का तुरंत पता लगवाइए वरना वह खाना-पीना छोड़ देगी. राजा ने कहा कि दूसरा हार बनवा देगा लेकिन उसने जिद पकड़ ली कि उसे वही हार चाहिए.
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सब ढूंढने लगे पर किसी को हार मिला ही नहीं. रानी तो कोप भवन में चली गई थी. हारकर राजा ने यहां तक कह दिया कि जो भी वह हार खोज निकालेगा उसे वह आधे राज्य का अधिकारी बना देगा.
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अब तो होड़ लग गई. राजा के अधिकारी और प्रजा सब आधे राज्य के लालच में हार ढूंढने लगे.
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अचानक वह हार किसी को एक गंदे नाले में दिखा. हार दिखाई दे रहा था, पर उसमें से बदबू आ रही थी लेकिन राज्य के लोभ में एक सिपाही कूद गया.
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बहुत हाथ-पांव मारा, पर हार नहीं मिला. फिर सेनापति ने देखा और वह भी कूद गया. दोनों को देख कुछ उत्साही प्रजा जन भी कूद गए. फिर मंत्री कूदा.
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इस तरह जितने नाले से बाहर थे उससे ज्यादा नाले के भीतर खड़े उसका मंथन कर रहे थे. लोग आते रहे और कूदते रहे लेकिन हार मिला किसी को नहीं.
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जैसे ही कोई नाले में कूदता वह हार दिखना बंद हो जाता. थककर वह बाहर आकर दूसरी तरफ खड़ा हो जाता.
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आधे राज्य का लालच ऐसा कि बड़े-बड़े ज्ञानी, राजा के प्रधानमंत्री सब कूदने को तैयार बैठे थे. सब लड़ रहे थे कि पहले मैं नाले में कूदूंगा तो पहले मैं. अजीब सी होड़ थी.
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इतने में राजा को खबर लगी. राजा को भय हुआ कि आधा राज्य हाथ से निकल जाए, क्यों न मैं ही कूद जाऊं उसमें? राजा भी कूद गया.
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एक संत गुजरे उधर से. उन्होंने राजा, प्रजा, मंत्री, सिपाही सबको कीचड़ में सना देखा तो चकित हुए.
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वह पूछ बैठे- क्या इस राज्य में नाले में कूदने की कोई परंपरा है? लोगों ने सारी बात कह सुनाई.
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संत हंसने लगे, भाई! किसी ने ऊपर भी देखा? ऊपर देखो, वह टहनी पर लटका हुआ है. नीचे जो तुम देख रहे हो, वह तो उसकी परछाई है. राजा बड़ा शर्मिंदा हुआ.
हम सब भी उस राज्य के लोगों की तरह बर्ताव कर रहे हैं. हम जिस सांसारिक चीज में सुख-शांति और आनंद देखते हैं दरअसल वह उसी हार की तरह है जो क्षणिक सुखों के रूप में परछाई की तरह दिखाई देता है.
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हम भ्रम में रहते हैं कि यदि अमुक चीज मिल जाए तो जीवन बदल जाए, सब अच्छा हो जाएगा. लेकिन यह सिलसिला तो अंतहीन है.
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सांसारिक चीजें संपूर्ण सुख दे ही नहीं सकतीं. सुख शांति हीरों का हार तो है लेकिन वह परमात्मा में लीन होने से मिलेगा. बाकी तो सब उसकी परछाई है
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#Jainism #Jain #Digambara #Nirgranth #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #Rishabhdev #AcharyaVidyasagar #Ahinsa #Nonviolence #AcharyaShri
Source: © Facebook
नरेंद्र मोदी दिगम्बर जैन मुनि सुधासागर जी के दर्शन करते हुए --कौन कहता है जैन संत नंगे होते हैं? अरे अज्ञानियों, जैन संत तो दिगंबर होते हैं नंगे तो तुम अज्ञानी होते हो।क्या कभी किसी पागल नंगे को किसी ने नमस्कार किया है? नहीं ना। #NarendraModi #Modi #MuniSudhasagar
लेकिन इसी देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने आचार्य देशभूषण महाराज से आशीर्वाद लिया था।
प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल ने भी आ. देशभूषण महाराज से आशीर्वाद लिया था।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी श्वेत पिछीधारी आ. विद्यानंद जी से आशीर्वाद लिया था।
प्रधानमंत्री अटलविहारी जी ने भी आचार्यश्री विद्यासागरजी से आशीर्वाद लिया था।
बड़े-बड़े शीर्ष नेताओं ने समय-समय पर जैन संतों से आशीर्वाद लेकर अपना मनुष्य जीवन सार्थक किया है।
जो भी जैन संतों की बुराई करता है या उन्हें नंगा बोलता हैं उनके लिए खुली चुनौती है कि वे सिर्फ एक दिन
1. नंगे होकर सड़क पर निकल जाएं।
2. एक समय खाना-पानी लें।
३. नंगे पैर चलें।
4. बिना कोई कपड़ा बिछाए जमीन या तख्त पर सोकर दिखाएं।
5. तपती धुप में, बेहद सर्दी में और बारिश में चलकर और साधना करके दिखाएं । न पंखा, न एसी, न छाता, न कार। क्या आप एक घंटा भी सहन कर सकते है?
🕉यदि आप सच्चे गुरुभक्त हैं और आप मेरी बात से सहमत हैं तो अधिक से अधिक शेयर करें
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*शंका समाधान - 2 Nov.' 2016*
*======================*
१. *भगवान् का जन्माभिषेक और जिन-बिम्ब का अभिषेक अलग अलग हैं! आगमानुसार, स्वर्गलोक में भी अकृत्रिम चैत्यालयों में जहाँ धूल आदि का कोई नामोनिशान ही नहीं होता, वहाँ देवो के लिए अभिषेक ही मुख्य पूजा होती है!*
२. *जो शराब आदि जैसे व्यसनों में लिप्त हैं, वो उत्कृष्ट धार्मिक क्रियायों करने के पात्र नहीं है!* उनको पहले व्यसनों को त्याग करना चाहिए फिर क्रियाओं में आगे आना चाहिए!
३. मोक्ष मार्ग में बहुत ऊपर की भूमिका में (आम आदमी के लिए नहीं) प्रशस्त राग को भी हिंसा माना गया है वो इस दृष्टि से कि आत्मा का आत्मा में ठहरना ही अहिंसा है और बाहर जाना हिंसा है ।
४. घात किसी भी जीव का नहीं करना चाहिए लेकिन कम से कम त्रस जीवों के घात का त्याग होना ही चाहिए! जितने बड़े जीव का घात होता है उतना ही पाप ज्यादा लगता है क्योंकि बड़े जीव में प्राणों की संख्या ज्यादा होती जाती है!
५. आचार्य मानतुंग स्वामी ने बंधन तोड़ने के लिए भक्तामर नहीं रचा । वो तो अपने अंदर डूब गए थे और उनके अंतरंग की अनुपम भक्ति से भक्तामर स्त्रोत्र कि रचना हो गई और उनके बंधन फिर स्वतः खुल गए!
६. *एक बार गुरुदेव ने कहा कि मन जब ज्यादा उद्वेगित (अशांत) हो तो भगवान् की शरण में चले जाना चाहिए ।*
७. मंदिर जी में कोई नया व्यक्ति आये तो उसको क्रियायों में प्राथमिकता देनी चाहिए ।
८. *भगवान् से प्रार्थना यह करनी चाहिए कि मै इतना समर्थ बनूँ कि दुखों को समता पूर्वक सहन कर सकूँ नाकि यह कि मेरे दुःख दूर हो जाये!*
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
*शंका समाधान - 2 Nov.' 2016*
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१. *भगवान् का जन्माभिषेक और जिन-बिम्ब का अभिषेक अलग अलग हैं! आगमानुसार, स्वर्गलोक में भी अकृत्रिम चैत्यालयों में जहाँ धूल आदि का कोई नामोनिशान ही नहीं होता, वहाँ देवो के लिए अभिषेक ही मुख्य पूजा होती है!*
२. *जो शराब आदि जैसे व्यसनों में लिप्त हैं, वो उत्कृष्ट धार्मिक क्रियायों करने के पात्र नहीं है!* उनको पहले व्यसनों को त्याग करना चाहिए फिर क्रियाओं में आगे आना चाहिए!
३. मोक्ष मार्ग में बहुत ऊपर की भूमिका में (आम आदमी के लिए नहीं) प्रशस्त राग को भी हिंसा माना गया है वो इस दृष्टि से कि आत्मा का आत्मा में ठहरना ही अहिंसा है और बाहर जाना हिंसा है ।
४. घात किसी भी जीव का नहीं करना चाहिए लेकिन कम से कम त्रस जीवों के घात का त्याग होना ही चाहिए! जितने बड़े जीव का घात होता है उतना ही पाप ज्यादा लगता है क्योंकि बड़े जीव में प्राणों की संख्या ज्यादा होती जाती है!
५. आचार्य मानतुंग स्वामी ने बंधन तोड़ने के लिए भक्तामर नहीं रचा । वो तो अपने अंदर डूब गए थे और उनके अंतरंग की अनुपम भक्ति से भक्तामर स्त्रोत्र कि रचना हो गई और उनके बंधन फिर स्वतः खुल गए!
६. *एक बार गुरुदेव ने कहा कि मन जब ज्यादा उद्वेगित (अशांत) हो तो भगवान् की शरण में चले जाना चाहिए ।*
७. मंदिर जी में कोई नया व्यक्ति आये तो उसको क्रियायों में प्राथमिकता देनी चाहिए ।
८. *भगवान् से प्रार्थना यह करनी चाहिए कि मै इतना समर्थ बनूँ कि दुखों को समता पूर्वक सहन कर सकूँ नाकि यह कि मेरे दुःख दूर हो जाये!*
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
#MangiTungi #Adinath #Gyanmati 99 करोड़ मुनिराजों की निर्वाण स्थली मांगीतुंगी आज देश ही नहीं पूरे विश्व में छाया हुआ है। आर्यिका ज्ञानमति माताजी के परम सानिध्य में मांगीतुंगी सिद्ध क्षेत्र में विश्व की सबसे ऊंची अखंड पाषाण की 108 फुट की आदिनाथ भगवान की प्रतिमा को तराश कर पूज्य बनाया गया है
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#Jainism #Jain #Digambara #Nirgranth #Tirthankara #Adinatha #LordMahavira #MahavirBhagwan #Rishabhdev #AcharyaVidyasagar #Ahinsa #Nonviolence #AcharyaShri
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must read Apple founder Steve Jobs last words before die.. #Apple #iPhone #SteveJobs
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श्री सिद्ध क्षेत्र गिरनार की रक्षा हैं संकल्प हमारा, गरनार तीर्थ हैं प्यारा:) amazing bhajan #Girnar #LordNeminatha #BhagwanNeminath
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फ़िल्म अभिनेत्री और भोपाल की बेटी कनिका तिवारी और उनकी माँ मधु तिवारी ने आचार्य श्री को श्रीफल समर्पित कर आशीष ग्रहण किया । इस अवसर पर कनिका ने गुरुवर को बताया की बो बेटी बचाओ अभियान के लिए भी कार्य कर रही है जो श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार द्वारा चलाया जा रहा है । आचार्य श्री ने आशीर्वाद प्रदान किया ।
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