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Aatmanaveshi live @ Ajmer
*आत्मानवेषी* एक शिष्य (मुनि क्षमासागर जी)की अपने गुरु (आचार्य विद्यासागर जी) के प्रति अनूठे समर्पण से उपजी कृति।
इस कृति पर आधारित पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के जीवन का नाटक रूप में चित्रण "आत्मानवेषी" की भोपाल में सफल प्रस्तुति के बाद विवेचना रंगमंडल जबलपुर और मैत्री समूह के साथ अर्चना मलैया जी द्वारा किये गए नाट्य रूपांतरण का मंचन अभी आचार्य विद्यासागर तपोवन, अजमेर में चल रहा है। नाटक की कुछ झलकियां प्रस्तुत है:
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*शंका समाधान - 6 Nov.' 2016*
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१. *जब तक Jainism को जिसने समझा नहीं तभी तक ही उसको यह कठिन लगता है ।* जब वो इसके सिद्धांतों को समझ लेता है तब वो इससे प्रभावित हुए बिना रह नहीं सकता । और जब वो सिद्धांतों को आत्मसात कर लेता है फिर वो उसकी मस्ती में झूमता है और वही चीजे उसको सरल लगने लगती हैं ।
२. भगवान् का ज्ञान झरने की तरह गिरता है जिसको सीधे अंजुली भरकर पीना चाहेगे तो मुश्किल है । गणधर देव उस ज्ञान रूपी बहते पानी को द्वादशांग रूपी पात्र में भरकर लोगो के लिए परोसने लायक बनाते हैं ।
३. *गुरुदेव की दृष्टि बड़ी व्यापक है । जब तक संस्कृति सुरक्षित है तब तक ही धर्म सुरक्षित है, इसीलिए वो शिक्षा और संस्कृति पर बहुत जोर दे रहे हैं ।*
४. धर्म कार्य करने के लिए कोई मुहूर्त देखने की जरुरत नहीं होती । अपितु *धर्म कार्य करने से अशुभ भी शुभ में बदल जाता है ।*
५. जब भी आपके व्यापार से मन की मस्ती, स्वास्थ और परिवार का प्रेम पर असर पड़ने लगे तब व्यापर बढ़ाना रोक दीजिये ।
६. *स्वाध्याय का सही मतलब खुद का analysis करते हुए अपनी अच्छाइयों को बढ़ाना और कमियों को दूर करना है ।*
७. पैसा कमाना बुरा नहीं है लेकिन पैसे के पीछे पागलपन से बचिए ।
*- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज*
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पिच्छी परिवर्तन में उमड़ा जनसैलाव -आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का भव्य पिच्छिका परिवर्तन का ससंघ समारोह सुभाष चंद्र बोस के नाम से स्थापित प्रदेश के उत्कृष्ट विद्यालय सुभाष विद्यालय के विशाल प्रांगण में,जिसमें 50000 लोग उनका बेसब्री से इन्तेजार कर रहे हैं। सभा स्थल पर लोगों को पैर रखने का भी स्थान नहीं मिला तो उन्होंने बाहर लगी एलईडी में ही कार्यक्रम देखकर अपने आपको धन्य किया!
पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि कलश स्थापना भी यहीं हुई थी आज निष्ठापन में भी आप व्यवस्थित हैं। आज संयम दिवस है आपने ये अहिंसा के पालन के उपकरण दिए हैं। ये उपकरण बाहर के हैं हम भीतर के रत्नत्रय के उपकरण को कार्य में लेते हैं। भीतरी चर्या का पालन आस्था से होता है आस्था के माध्यम से ही भगवान की बाणी को हम सुनते और मानते हैं। तीर्थंकरों की परंपरा का बोध होता है उसी का अनुशरण हम करते हैं। श्रुत ज्ञान के माध्यम से ही तीर्थंकर ज्ञान मयि बाणी का प्रसारण करते हैं। हमारा सम्बन्ध, आपका सम्बन्ध अनादिकाल से है, जो निरंतर चला आ रहा है। आस्था का बिषय दूरदृष्टी को जाग्रत करता है।
दोषों को हम दूर नहीं कर पा रहे हैं परंतु भारत भूमि की ऊर्जा में मुनियों तीर्थंकरों और महापुरुषों की सुगंध निरंतर बह रही है। पवित्र स्थानों पर जाकर हम उस भूमि को नमन करते हैं ये ही संस्कृति है। आज उपकरण दान देकर कुछ लोगों ने पुण्य प्रबल किया है परंतु अनुमोदना इस दुर्लभ दृश्य की आपने की है आप सभी पुण्यशाली हो। सभी को दर्शन हो रहे है इस दृश्य के और ध्वनि कानों तक पहुँच रही ये विज्ञान की दें है। विज्ञानं का सदुपयोग और दुरोपयोग आपके हाथ में है यदि सदुपयोग करेंगे तो हित आपका ही होगा। मनुष्य भव दुर्लभ है इसी से परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। प्राचीन समय की साधना बहुत दुर्लभ साधना हुआ करती थी। संयम बहुत ही मजबूत हुआ करता था आज भी संयम की साधना होती है और भक्ति भी बहुत होती है क्योंकि भक्ति का मार्ग भी अनूठा मार्ग होता है। श्रद्धा और भक्ति की इस पराकाष्ठा को इसी तरह जाग्रत रखने की आवश्यकता है जिसमें आप सभी का कल्याण निहित है।
देवता भी मुनियों को आहार देने आतुर रहते हैं क्योंकि मुनि धर्म वीतरागिता को सम्बल प्रदान करने का श्रोत है। पिच्छी संयम का उपकरण है और आहार दान देना भी इस पिच्छी को देने के बराबर है इसलिए इस दान की अनुमोदना आपको भी इस मार्ग की और आरूढ़ होने की प्रेरणा देती है । आज के अवसर पर मैं यही कहूँगा कि राजधानी में आज ये चातुर्मास निर्विघ्न संपन्न हुआ है तो आपके पूर्वजों का इसमें कुछ न कुछ योगदान रहा है। हबीबगंज की ये भूमि जिनकी देन है वो साधुबाद के पात्र हैं। प्राशुक आहार के साथ निहार की व्यवस्था में मुख्यमंत्री जी का भी योगदान सराहनीय है। नामकरण गर्भ में नहीं होंता जन्मकल्याण के बाद ही होता है भावना भाते रहिये नामकरण मंदिर का तो होता रहेगा
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Amazing Info about 'गन्धोदक':) गुरु देशना -मुनि पुगंव सुघासागर जी महाराज। #MuniSudhasagar
1. *भगवान को छूने का अधिकार जैन कुल ने दिया है लेकिन अगर इस अवसर का उपयोग नहीं किया तो कर्म आपको फिर इस अवसर से वंचित कर देगा!*
2. प्राचीन शास्त्रों में पुरुषों के लिए जिन पूजा का नियम है और पूजा का आद्यांग (पहला अंग) अभिषेक है, केवल देव दर्शन नहीं; क्योंकि *देव दर्शन तो पशु, हरिजन, महिला, कोड़ रोगी या पापी भी कर सकते हैं लेकिन ये सभी अभिषेक नहीं कर सकते!*
3. मै (सुधा सागर महाराज जी) बहुत करुणा कर के कह रहा हूँ की बहुत *गरीबी के समय माँ / घर की महिलाओं को भीख मंगवाने से भी *बड़ा पाप है की तुम्हारे जीतेजी तुम्हारी माँ / घर की महिलाओं को मंदिर में जाके किसी और से गंदोदक माँगना पड़े!*
4. *1000 मुनिराज भी आशीर्वाद दे उससे भी ज्यादा मंगलकारी है अगर घर के पुरुष खुद गंदोदक बना के अपने घर की महिलाओं/बच्चो को लगाये*
5. *यहाँ तक की घर के पशुओं,नौकरों को भी गंदोदक दीजिये!घर पे आये मेहमान, घर पे आयी बारात का स्वागत गंदोदक से करिये!इसके लिए छोटा सा कलश रखिये और मंदिर जी से कभी खाली मत आओ!उस कलश में गंदोदक भर के घर लाइए!ऐसा करना बहुत ही मंगलकारी है!शाम को उस गंदोदक को या तो अपने सर पे लगा लीजिये, या ऐसी जगह डाल दीजिये जहा किसी के पैर न पड़ते हो!*
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आज रविवार 6 नवंबर 2016 को दोपहर 2 बजे से भोपाल (म प्र) में होगा आचार्य विद्यासागर जी का ससंघ भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह ।
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Must Notice when u visit #MangiTungi.. This is an Unique Idol of Jain Muni at Mangi hill with Jap mala in one hand and picchi in the other.. #JainMuni #Gyanmati #SiddhaKshetra
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News in Hindi
विश्व टेलीविजन जगत के इतिहास में पहली बार " सावनसुखा वाह ज़िन्दगी" की एक अद्भुत और धार्मिक प्रस्तुति "एक दिन गुरुदेव के साथ" आचार्यश्री वर्धमानसागरजी महाराज की कहानी, उन्ही की ज़ुबानी। #AcharyaVardhmansagar #AcharyaShantisagar #AcharyaDharmasagar #AcharyaAjitsagar #AcharyaShivsagar #AcharyaVeersagar
साथ ही देखें 20वीं शताब्दी के प्रथम आचार्यश्री शान्तिसागरजी, आचार्यश्री वीरसागरजी,आचार्यश्री शिवसागरजी, आचार्यश्री धर्मसागरजी और आचार्यश्री अजितसागरजी के जीवन का संक्षिप्त परिचय।आचार्यश्री वर्धमानसागरजी ने बताया इनके बारे में कहाँ हुआ जन्म कैसे बिता बचपन
🔹क्यों लिया वैराग्य
🔹क्या है 13 पंथ या 20 पंथ
🔹क्या कभी वापस सांसारिक जीवन में लौटने का आया विचार?
🔹स्त्री अभिषेक हो या नहीं, आदि अन्य सवाल जबाब
🔹नई पीढ़ी को सन्देश
📺45 मिनिट की इस फ़िल्म का प्रसारण 6 नवंबर रविवार दिन के 1.30 बजें केवल पारस चैनल पर 🔹इस फ़िल्म का पुनः प्रसारण 7 नवंबर सोमवार को रात्रि 8 बजें
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